किशोर कुमार एक महान गायक थे जिनका 4 अगस्त जन्म 1929 में हुआ था। किशोर कुमार को उनके हास्य के लिए भी जाना जाता है। उन्होंने फ़िल्मों में शुरुआत अभिनय से की थी और वो फ़िल्में ज़्यादातर हास्य-प्रधान थीं। मगर उनकी एक सेंसिटिव साइड भी थी, जो उनकी बनाई फ़िल्मों में दिखाई देती है। उनके जन्मदिन के अवसर पर इस महान गायक और कलाकार के जीवन के बारे में कुछ रोचक तथ्यों पर एक नज़र डालें।
01- किशोर कुमार का असली नाम
किशोर कुमार का जन्म 4 अगस्त, 1929 को अब मध्य प्रदेश के खंडवा में बंगाली परिवार में हुआ था। उनका असली नाम आभास कुमार गांगुली था। लेकिन फिल्मी दुनिया में आने के बाद वह आभास कुमार से किशोर कुमार बन गए। वो तीन भाई थे सबसे बड़े अशोक कुमार फिर बहन सती देवी उनके बाद भाई अनूप कुमार और सबसे छोटे थे किशोर कुमार। तीनों भाइयों ने “चलती का नाम गाड़ी” जैसी मशहूर फ़िल्म में एक साथ काम किया था। उनकी बहन सती देवी की शादी फ़िल्ममेकर शशधर मुखर्जी से हुई थी।
02- किशोर कुमार की एक्टिंग में दिलचस्पी नहीं थी
अपने भाई अशोक कुमार की तरह, किशोर कुमार ने भी बॉम्बे टॉकीज से ही अपने फिल्मी करियर की शुरुआत की। उनके भाई अशोक कुमार चाहते थे कि वह अभिनेता बनें पर उनकी दिलचस्पी अभिनय में बिलकुल नहीं थी, वो गायक बनना चाहते थे। उनकी पहली फिल्म ‘शिकारी’ थी जो 1946 में रिलीज हुई थी। जब उन्हें फ़िल्मों में अभिनय के प्रस्ताव आने लगे तो उन्होंने जानबूझकर ऊटपटांग हरकतें करनी शुरू कर दीं ताकि फ़िल्म फ्लॉप हो जाए और उन्हें अभिनय से छुटकारा मिल जाए मगर उनका वही स्टाइल दर्शकों को पसंद आया और इस तरह वो एक अभिनेता बन गए।
इन्हें भी पढ़ें – R D बर्मन की याद में…
03- किशोर ने कभी कोई गायन प्रशिक्षण प्राप्त नहीं किया
किशोर कुमार का गाया पहला गाना सुनाई दिया 1948 की फ़िल्म “ज़िद्दी” में ये गाना उन्होंने देवानंद के लिए गाया था जिसके बोल थे – ‘मरने की दुआएं क्यों माँगूँ” अपने पूरे करियर में उन्होंने हिंदी और बांग्ला के अलावा मराठी, गुजराती, असमिया, मलयालम, उड़िया और कन्नड़ जैसी कई भारतीय भाषाओं में मशहूर गीत गाए वो अपने अभिनय से ज़्यादा अपने गायन के लिए प्रसिद्ध हैं लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि उन्होंने गायन का कभी कोई प्रशिक्षण प्राप्त नहीं किया। कभी कोई क्लासिकल ट्रैंनिंग नहीं ली।
इन्हें भी पढ़ें – मौहम्मद रफ़ी – अलग-अलग सुपरस्टार्स की एक आवाज़
04- किशोर कुमार ने पुरुष और महिला दोनों स्वरों में गाया
किशोर कुमार गाते समय बहुत मस्ती से गाते थे, रिकॉर्डिंग के टाइम बहुत मस्ती किया करते थे। मगर गाने में कहीं कोई कमी नहीं होती थी बल्कि कुछ एक्स्ट्रा ही निकल के आता था। उन्होंने 1962 की फ़िल्म “हाफ़ टिकट” के गाने “आके सीधी लगी दिल पे जैसे कटरिया” के लिए पुरुष और महिला दोनों स्वरों में गाया। इस गाने को उनके साथ लता मंगेशकर गाने वाली थीं मगर जब लता मंगेशकर रिकॉर्डिंग के टाइम तक नहीं पहुँच पाईं तो उन्होंने मेल -फीमेल दोनों स्वरों में गाया।
05- लेखक निर्माता-निर्देशक
वो सिर्फ एक गायक नहीं थे बल्कि एक अभिनेता, संगीतकार,गीतकार,लेखक निर्माता-निर्देशक भी थे। उन्होंने 1961 में आई फ़िल्म झुमरु की कहानी लिखी, उसमें एक गाना भी लिखा (मैं हूँ झुमझुम झुमरु ) और संगीत भी दिया। 1964 में आई फ़िल्म “दूर गगन की छाँव में” का निर्माण-निर्देशन, कहानी, संगीत सब किशोर कुमार का था। इस फ़िल्म का टाइटल सांग (आ चल के तुझे मैं लेके चलूँ) भी उन्होंने ही लिखा था। इस फ़िल्म में उनके बड़े बेटे मशहूर गायक अमित कुमार ने बतौर बाल कलाकार अभिनय किया था। 1971 में आई “दूर का राही” भी किशोर कुमार ने ही बनाई।
06- कर्ज से प्रेरित गीत
ये तो सभी जानते हैं कि किशोर कुमार पैसों के मामले में सीधी बात करते थे – नो मनी नो वर्क। और अगर उनके पैसे किसी के पास हैं तो वो कभी भूलते भी नहीं थे। इंदौर के क्रिश्चियन कॉलेज के हॉस्टल में एक कैंटीन मालिक पर उनका 5.75 रुपये बकाया था। उसी से प्रेरित होकर फिल्म “चलती का नाम गाड़ी” का एक गाना बना – “लेकिन पहले दे दो मेरा पाँच रुपैया बारह आना”।
इन्हें भी पढ़ें – भूपिंदर – टूटे हुए दिलों की आवाज़ (Humble Tribute)
07- किशोर कुमार की शादी
किशोर कुमार ने चार शादियां की थीं। उनकी पहली पत्नी थीं रुमा गुहा, फिर उन्होंने मधुबाला से शादी की इस शादी के लिए उन्होंने इस्लाम धर्म अपनाया था और तब उन्होंने अपना नाम भी बदल कर रखा – करीम अब्दुल। मधुबाला दिल की बीमारी से पीड़ित थीं उनकी मौत के बाद किशोर कुमार ने तीसरी शादी की अभिनेत्री योगिता बाली से और चौथी और आख़िरी शादी अभिनेत्री लीना चंदावरकर से।
08- जब किशोर कुमार को बैन किया गया था
आपातकाल के दौरान एक बार किशोर कुमार को एक रैली में गाने के लिए कहा गया था पर उन्होंने साफ़ साफ़ मना कर दिया। इसके बाद रेडियो और दूरदर्शन पर उनके गानों के ब्रॉडकास्ट / टेलीकास्ट पर unofficial बैन लगा दिया गया था। जो मई 1976 से इमरजेंसी ख़त्म होने तक लागू रहा।
09- अवॉर्ड्स
किशोर कुमार ने अपने पूरे करियर में 8 फ़िल्मफ़ेयर अवॉर्ड्स जीते थे। उन्हें पहला फ़िल्मफ़ेयर अवॉर्ड फ़िल्म “आराधना” के गाने “रुप तेरा मस्ताना” के लिए दिया गया था। इसके बाद “अमानुष” फिल्म के गाने – दिल ऐसा किसी ने मेरा तोड़ा, “डॉन” – खई के पान बनारस वाला, “थोड़ी सी बेवफ़ाई”- हज़ार राहें मुड़ के देखीं, “नमक हलाल” – पग घुँघरु बाँध मीरा नाची थी, “अगर तुम न होते” – अगर तुम न होते, “शराबी” – मंज़िलें अपनी जगह हैं रास्ते अपनी जगह और आख़िरी बार “सागर” फ़िल्म के टाइटल सांग “सागर किनारे दिल ये पुकारे” के लिए उन्हें सम्मानित किया गया।
10- अजीब व्यवहार
राजकुमार की तरह ही किशोर कुमार के व्यवहार को लेकर कई तरह की बातें सुनने में आती हैं। ज़्यादातर बातें सच हैं। इसी की मिसाल था उनके घर के बाहर लगा एक बोर्ड। आमतौर पर लोगों के घर के बाहर लिखा होता है “कुत्तों से सावधान” लेकिन किशोर कुमार ने अपने घर के बाहर एक बोर्ड लगा रखा था “किशोर से सावधान”
एक बार निर्माता-निर्देशक H S रवैल उनके घर पहुँचे उनकी बक़ाया फ़ीस देने के लिए और चलते समय जब उन्होंने हाथ मिलाने के लिए अपना हाथ आगे बढ़ाया तो किशोर कुमार ने अपने मुँह में उनका हाथ ले लिया, काट लिया और बोले तुमने बाहर बोर्ड नहीं पढ़ा ?
11- नो सिंगिंग फॉर फ्री
उनका उसूल था कि वो फ़्री में किसी के लिए काम नहीं करते थे, चाहे फ़िल्म में अभिनय हो या गाना या स्टेज शो, और वो इस उसूल को बहुत गंभीरता से लेते थे। वो एडवांस में पैसे लेते थे उसके बाद ही गाना गाते थे, अगर पैसे नहीं मिलते थे तो स्टूडियो से बिना रिकॉर्डिंग किये लौट आते थे।
एक बार जब वो सेट पर पहुँचे और उन्हें पता चला कि निर्माता ने पूरे पैसे नहीं दिए हैं तो तो कैमरा के आगे आधे चेहरे पर मेकअप के साथ आये। जब पूछा गया तो बोले- “आधे पैसे आधा मेकअप” लेकिन राजेश खन्ना, डेनी जैसे कई दोस्तों के लिए वो इस उसूल को भूल भी जाते थे। इसके अलावा वो कैंसर पेशेंट्स और जवानों के लिए बहुत चैरिटी करते थे। मगर उनका वो पक्ष कभी सामने नहीं आया।
इन्हें भी पढ़ें – G M दुर्रानी – अपने ज़माने के मोहम्मद रफ़ी
12- किशोर कुमार की मौत
किशोर कुमार ने 13 अक्टूबर 1987 को आख़िरी साँस ली। उसी दिन उनके बड़े भाई अशोक कुमार का जन्मदिन होता है। लेकिन वो किशोर कुमार की मौत के बाद से उन्होंने अपना जन्मदिन मानाना बंद कर दिया था। उनके परिवार में उनकी पत्नी लीना चंदावरकर और उनके दो बेटे अमित कुमार और सुमित कुमार हैं।
[…] […]
[…] […]
[…] […]