धर्मेंद्र

धर्मेंद्र जो गरम-धरम के नाम से मशहूर हुए हिंदी फ़िल्म इंडस्ट्री के ऐसे हीरो थे जो कभी किसी ‘रैट-रेस’ का हिस्सा नहीं रहे। बस अपना काम करते गए और हर तरह की फ़िल्म में अपनी छाप छोड़ी। फिर चाहें हिलेरियस, क्लासिस कॉमेडी “चुपके चुपके” हो, या बेहद ख़ामोश अनुपमा, गुड्डी के सुपरस्टार धर्मेंद्र हों या शोले का वीरु। हाँलाकि वो हमेशा अपने प्रशंसकों को अपनी कामयाबी का सारा क्रेडिट देते रहे, और उनकी यही सादगी उन्हें हरदिल अज़ीज़ बनाती रही।

इस पोस्ट में सिंपल लेकिन स्टाइलिश, एनर्जेटिक धर्मेंद्र से जुड़े कुछ फैक्ट्स जानेंगे।

01 – धर्मेंद्र – The Evergreen Star

धर्मेंद्र किसी फिल्म फैक्ट्री से कम नहीं थे उन्होंने अपने 55 साल के फ़िल्म करियर में क़रीब 300 फ़िल्में कीं यानी साल में क़रीब 6 फिल्में यानी हर दो महीने में एक फ़िल्म…..  ये कोई आसान बात नहीं है। कहते हैं इंडस्ट्री में शिफ्ट्स में काम करने का चलन धर्मेंद्र से ही शुरु हुआ। एक वक़्त था जब वो इतने बिजी हो गए थे कि उन्हें दो-दो, तीन-तीन शिफ्ट्स में काम करना पड़ता था।

धर्मेंद्र

मीडिया और क्रिटिक्स ने कभी धर्मेंद्र को प्रेज़ नहीं किया, न ही अवॉर्ड्स पॉलिटिक्स उनकी समझ में आई फिर भी वो इंडस्ट्री के फ़ेवरेट लीडिंग मैन बने रहे। फिर चाहे दौर याहू शम्मी कपूर का रहा हो या जुबली स्टार राजेंद्र कुमार का या रोमान्स के बादशाह राजेश खन्ना और एंग्री यंग मैन अमिताभ बच्चन का। धर्मेंद्र का क्रेज़ दर्शकों में कभी कम नहीं हुआ, न ही फिल्ममेकर्स में। क्योंकि रोमांस के दौर में भी वो हिट रहे और एक्शन के दौर में वो कहलाए ही-मैन। उनकी फ़िल्मों की कामयाबी किसी भी नंबर की दौड़ से अलग रही।

02 – दुनिया के सबसे हसीन पुरुष

1970s में धर्मेंद्र का नाम विश्व की 7 सबसे आकर्षक हस्तियों में शामिल हुआ था। वो इतने हैंडसम थे कि जब शोले के सेट पर मेकअप के साथ पहुंचे तो सिनेमाटोग्राफर ने कहा कि आप इतने ख़ूबसूरत हैं कि आपको मेकअप की ज़रूरत ही नहीं है और फिर शोले की पूरी शूटिंग में उन्होंने मेकअप नहीं किया। गोविंदा की पत्नी सुनीता ने अपने इंटरव्यू में कहा था कि जब वो प्रेग्नेंट थीं तो धर्मेंद्र की फोटो देखा करती थीं ताकि उनका बच्चा धर्मेंद्र जैसा ख़ूबसूरत हो।

धर्मेंद्र

धर्मेंद्र दिलीप कुमार के ज़बरदस्त फ़ेन थे और शुरूआती दौर में हर रोज़ आईने में देखकर ख़ुद से पूछा करते थे कि क्या मैं दिलीप कुमार बन सकता हूँ ? और दिलीप कुमार ख़ुदा से यही शिकायत थी कि उसने दिलीप कुमार को धर्मेंद्र जैसा हैंडसम क्यों नहीं बनाया।

03 – फ़िल्मफ़ेयर की खोज को कभी नहीं मिला सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का फ़िल्मफ़ेयर अवॉर्ड

धर्मेंद्र ने एक्शन, रोमांस, थ्रिलर, कॉमेडी और यथार्थवादी फ़िल्मों में भी अपनी बेहतरीन अदाकारी से दर्शकों का दिल जीता। उन्होंने शोले जैसी बहुत सी सुपरहिट फ़िल्में दी मगर उन्हें कभी भी किसी भी फ़िल्म के लिए बेस्ट एक्टर का अवॉर्ड नहीं मिला। वर्ल्ड आयरन मैन जैसे ख़िताबों से नवाज़े जा चुके और ख़ुद फ़िल्मफ़ेयर की खोज रहे धर्मेंद्र को पहला फ़िल्मफ़ेयर अवार्ड 1997 में मिला पर वो भी बेस्ट एक्टर के लिए नहीं था, बल्कि लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड था।

कृपया इन्हें भी पढ़ें – राजेश खन्ना – लगातार 15 सुपरहिट देने वाला सुपरस्टार

जब धर्मेंद्र वो अवॉर्ड रिसीव करने स्टेज पर पहुँचे अपनी स्पीच में उन्होंने अपने दिल का दर्द सबके साथ बाँटा। उन्होंने बताया कि वो हर साल नया सूट पहन कर अवॉर्ड फ़ंक्शन में जाते थे, इस उम्मीद पर कि इस बार उन्हें अवॉर्ड मिलेगा मगर हर बार उन्हें मायूसी हासिल होती थी। ये वाक़ई हैरानी की बात है कि धर्मेंद्र ने कई अर्थपूर्ण किरदार निभाए लेकिन किसी फ़िल्म के लिए उन्हें अवॉर्ड नहीं दिया गया! न तो राष्ट्रीय पुरस्कारों के लिए कभी उनके नाम पर विचार किया गया न ही दादा साहब फालके पुरस्कार के लिए। इसे फ़िल्मी दुनिया की राजनीति नहीं कहेंगे तो क्या कहेंगे !

04 – धर्मेंद्र की दो नहीं बल्कि चार बेटियाँ हैं

धर्मेंद्र की पहली शादी 19 साल की उम्र में प्रकाश कौर नाम की महिला से हुई थी, लेकिन ड्रीम गर्ल हेमा मालिनी के इश्क़ में गिरफ़्तार होने के बाद उन्होंने उनसे शादी करने के लिए इस्लाम धर्म अपनाया और दिलावर ख़ान के नाम से दूसरी शादी की और दो बेटियों के पिता बने – ईशा और अहाना। उन की इन बेटियों के बारे में ज़्यादातर फ़िल्म लवर्स जानते हैं क्योंकि ईशा ने धूम जैसी कई फ़िल्मों में बतौर हेरोइन काम भी किया है।

धर्मेंद्र

पर धर्मेंद्र की दो बेटियाँ और भी हैं – विजेता और अजीता। विजेता के नाम पर ही उनके फ़िल्म प्रोडक्शन हाउस का नाम है – विजेता फ़िल्म्स। पहली शादी से उनकी चार संतान हैं – दो लड़के सनी देओल और बॉबी देओल और दो बेटियाँ। सनी देओल और बॉबी देओल के साथ धर्मेंद्र अक्सर टीवी शोज में नज़र आये और फ़िल्मों में भी तीनों बाप बेटे साथ काम कर चुके हैं मगर उनकी उन दो बेटियों के बारे में न मीडिया में कुछ ख़ास लिखा गया न ही कोई चर्चा हुई।

05 – धर्मेंद्र की कामयाब जोड़ी

धर्मेंद्र ने मीना कुमारी, नूतन, माला सिन्हा, आशा पारेख, सायरा बानो, शर्मीला टैगोर, मुमताज़, ज़ीनत अमान यानी अपने समय की लगभग सभी हेरोइंस के साथ काम किया और बहुत सी हिट फिल्में दीं। इनमें से कई हेरोइंस के साथ उनका नाम भी जुड़ा, जिनमें सबसे बड़ा नाम मीना कुमारी का था जिन्होंने धर्मेंद्र को शुरूआती दौर में काफ़ी प्रमोट किया था। मगर उनकी ऑन-स्क्रीन कामयाब जोड़ी बनी हेमा मालिनी के साथ।

धर्मेंद्र

हेमा मालिनी और धर्मेंद्र की साथ में राजा जानी, सीता और गीता, ड्रीम गर्ल, शराफ़त, चरस, चाचा भतीजा, शोले जैसी कई सुपरहिट फिल्में आईं मगर जब इन दोनों ने शादी कर ली तो उसके बाद इस रियल लाइफ जोड़ी को दर्शकों ने रील लाइफ जोड़ी के तौर पर नकार दिया। मगर असल ज़िंदगी में इन दोनों को एक कामयाब जोड़ी के तौर पर देखा जाता रहा।

06 – माँ का आर्शीवाद

8 दिसंबर 1935 को पँजाब के एक गाँव में धर्मेंद्र का जन्म हुआ। धर्मेंद्र के पिता केवल किशन देओल गाँव के स्कूल में हेडमास्टर थे। धर्मेंद्र का मन पढाई लिखाई में नहीं लगता था लेकिन घर वाले सख़्त थे इसलिए 9th क्लास तक कभी कोई फ़िल्म नहीं देखी थी। नौवीं में पहली बार उन्होंने जो फ़िल्म देखी वो थी दिलीप कुमार की शहीद। उसी समय से जैसे उन पर कोई सम्मोहन हो गया था। उनके गाँव से फ्रंटियर मेल गुज़रती थी तो वो रोज़ाना उससे प्रार्थना करते थे कि उन्हें किसी तरह मुंबई पहुँचा दे। अपने पिताजी से वो बहुत डरते थे लेकिन उनकी माँ उनके इस सपने के बारे में जानती थीं।

कृपया इन्हें भी पढ़ें – शम्मी कपूर 10 Interesting Facts About Junglee Star

एक दिन माँ ने धरम जी का दिल रखने के लिए कह दिया कि तू अर्ज़ी भेज दे वो लोग तुझे बुला लेंगे। और इत्तफ़ाक़न एक दिन फ़िल्मफ़ेयर में टैलेंट हंट का फ़ॉर्म निकला वो मैगज़ीन को अपनी शर्ट में छुपाकर घर ले आए और रात में फॉर्म भरकर सुबह पोस्ट कर दिया और फिर वो कॉन्टेस्ट जीतकर वो सचमुच मुंबई पहुँच गए। जब उन्हें फिल्मों में कामयाबी मिलनी शुरु हुई तो एक दिन उनकी माँ मुंबई आईं, रास्ते में वो बीमार हो गईं। धरम जी उन्हें लेने रेलवे-स्टेशन पहुंचे तो वहां मौजूद प्रशंसकों की भीड़ देखकर उनकी माँ इतनी ख़ुश हुईं कि घर पहुँचने तक उनका बुखार उतर गया।

07 – He-Man धर्मेंद्र

धर्मेंद्र और मनोज कुमार लगभग एक साथ मुंबई पहुंचे थे और स्ट्रगल का टाइम भी दोनों ने इकट्ठे ही गुज़ारा। जहाँ जाते रिजेक्शन मिलता जैसे शुरुआत में सबको मिलता है। एक दिन धर्मेंद्र के सब्र का बाँध टूट गया और उन्होंने वापस जाने की तैयारी कर ली तब मनोज कुमार ने उन्हें समझाया और कुछ और दिन रुक जाने को कहा। बुझे दिल से धरम जी रुक गए और कुछ ही दिनों बाद दोनों को दो-दो फ़िल्में मिल गईं। धर्मेंद्र को जो फिल्में मिलीं उनमें से एक थी अर्जुन हिंगोरानी की “दिल भी तेरा हम भी तेरे” जो धरम पाजी की पहली फिल्म थी।

धर्मेंद्र

दूसरी फ़िल्म थी “शोला और शबनम” जिसमें ये दोनों संघर्षरत कलाकार एक साथ काम करने वाले थे। फ़िल्म में पहले जो किरदार धर्मेंद्र के हिस्से में आया वो एक जमींदार के बेटे का था, दूसरे हीरो थे मनोज कुमार। मगर किसी वजह से मनोज कुमार वो फ़िल्म नहीं कर पाए तब धर्मेंद्र को रोमेंटिक हीरो वाला रोल दे दिया गया, क्योंकि उन दिनों वो बहुत पतले हुआ करते थे और पिछला रोल उनकी पर्सनालिटी को सूट नहीं कर रहा था।

कृपया इन्हें भी पढ़ें – मनोज कुमार हिंदी सिनेमा के इकलौते भारत कुमार

शुरूआती दौर में अपने पतले होने की वजह से कई अच्छे किरदार उनके हाथों से निकल गए। लेकिन जब 1966 में फ़िल्म फूल और पत्थर आई तो उसमें पहली बार लोगों का ध्यान उनकी बॉडी पर गया और वहीं से उनके ‘ही-मैन’ बनने की शुरुआत हो गई। धर्मेंद्र वो पहले हीरो भी कहे जाते हैं जिन्होंने स्क्रीन पर शर्ट उतारी थी।

08 – स्टाइल आइकॉन धर्मेंद्र बहुत संवेदनशील इंसान थे

धर्मेंद्र एक स्टाइलिश एक्टर माने जाते हैं,  60s में वो मुंबई के बेस्ट ड्रेस्ड मैन हुआ करते थे। textured सूट, स्लिम पेंट्स, फैंसी स्वेटर्स से वो फैशन किंग बन गए थे। 80s में जैकेट पेंट का कॉम्बो और 90s में मोज़ेक शर्ट्स इन सब से वो हमेशा स्टाइल आइकॉन बने रहे। ये स्टाइल आइकॉन जब खेती करने उतरता तो पूरी तरह किसान बन जाता। लोनावला में उनका फार्म हाउस है जहाँ वो आर्गेनिक फार्मिंग किया करते थे। धर्मेंद्र हमेशा से ही बहुत इमोशनल और पारिवारिक क़िस्म के इंसान रहे।

धर्मेंद्र

मुंबई आने के बाद उन्होंने पंजाब से अपने सभी परिवार वालों को मुंबई में न सिर्फ़ सेटल किया बल्कि हमेशा सब का साथ देते रहे, अपने परिवार को कभी अकेला नहीं छोड़ा। ये तो सभी जानते हैं कि वो इमोशनल होने के साथ-साथ बहुत ही सेंसिटिव और बेहतरीन शायर थे। उनका सेंस ऑफ़ ह्यूमर भी कमाल का था, वो अक्सर ख़ुद पर ही हँसा करते थे। हाँ, शराब की बहुत बुरी लत थी जिसके बारे में उनका कहना था कि पंजाबी आदमी शराब न पिए ऐसा कैसे हो सकता है ?

09 – निर्माता धर्मेंद्र ने राजनीति में भी हाथ आज़माया

धर्मेंद्र ने 1980s में अपने प्रोडक्शन हाउस विजयेता फ़िल्म्स की नींव रखी और अपने बड़े बेटे सनी देओल को लांच करने के लिए बेताब फ़िल्म का निर्माण किया। 1995 में उन्होंने अपने छोटे बेटे को बरसात फिल्म से लांच किया और फिर अपने भतीजे अभय देओल के लिए बनाई – सोचा न था। कहते हैं कि धर्मेंद्र ने कई फ़िल्मों को पूरा करने के लिए कई लोगों की आर्थिक मदद भी की। एक्टर, प्रोडूसर, फ़ैशन-आइकॉन के अलावा धर्मेंद्र ने राजनीति में भी हाथ आजमाया। वो 2004 से 2009 तक बीकानेर से लोक सभा के सदस्य रहे पर पॉलिटिक्स उन्हें रास नहीं आई।

10 – शेरदिल, दिलेर धर्मेंद्र

धर्मेंद्र को लोहे की सलाखें मोड़ते हुए आपने कई फ़िल्मों में देखा होगा। उनके बड़े से हाथ का भारी-भरकम थप्पड़ या घूँसा खाकर विलेन को गिरते भी देखा होगा। उन्होंने कई फ़िल्मों में अपने स्टंट ख़ुद किये भी। शेर-चीतों से लड़ाई की, बिना डायरेक्टर को बताये घोड़े से पटखनी खाई। और किसी-किसी फ़िल्म में अपने डायलॉग्स से ह्यूमर डालने की लिबर्टी भी ली। और उनके डांस के तो क्या कहने, लोग उस डांस की भी नक़ल करते हैं। अभिनेता-निर्माता धर्मेंद्र एक ऐसी हस्ती थे जिन्हें लोगों ने बहुत प्यार दिया जिसकी उन्होंने क़द्र भी की और कभी अपने प्रशंसकों को निराश नहीं किया।

कृपया इन्हें भी पढ़ें – अमिताभ बच्चन फ़्लॉप हीरो से एंग्री यंगमैन और महानायक तक की यात्रा

एक ऐसा व्यक्ति जो फ़िल्मी बैकग्राउंड से नहीं था, जिसने कहीं से अभिनय नहीं सीखा मगर जब इंडस्ट्री में क़दम रखा तो जिस तरह का काम किया वो यादगार बन गया। 60 साल से भी लम्बा चला उनका फ़िल्मी सफ़र और कमाल की बात ये रही कि इस अरसे में उनका क्रेज़ कभी कम नहीं हुआ। इसकी एक वजह शायद उनका धरती से जुड़ा होना है, वो सच्चाई है जो हमेशा उनकी बातों में, उनके व्यवहार में झलकती थी।

धर्मेंद्र की मौत से क़रीब एक हफ़्ते पहले ही उनके गुज़र जाने की अफवाह फैल गई थी, जबकि वो अस्पताल में भर्ती थे और ठीक हो रहे थे। इसके बाद परिवारवालों ने उन्हें घर शिफ़्ट किया और वहीं उनका ईलाज हो रहा था। लेकिन 24 नवम्बर 2025 को लम्बी बीमारी के बाद वो इस दुनिया से रुख़सत हो गए। उनका जाना सिर्फ़ एक कलाकार का जाना नहीं है बल्कि एक बेहतरीन इंसान का जाना है, जिसने हर दिल में अपनी वो जगह बनाई जो हमेशा उन्हीं की रहेगी।