विनोद मेहरा हिंदी फ़िल्मों के ऐसे कलाकार जिन्होंने अपना काम बहुत ईमानदारी से किया, कभी स्टार्स वाले नख़रे नहीं दिखाए और जो भी काम उन्हें मिला उसे पूरी लगन से किया। उनकी फिल्मों ने कामयाबी भी पाई लेकिन इस सबके बाद भी उन्हें वो दर्जा नहीं मिला जिसके वो हक़दार थे।
Remembering Vinod Mehra on his Death Anniversary / विनोद मेहरा की पुण्यतिथि पर विशेष प्रस्तुति
विनोद मेहरा की फ़िल्मों में शुरुआत बतौर बाल कलाकार हुई थी
70 और 80 के दशक के एक कलाकार विनोद मेहरा सादा लेकिन आकर्षक व्यक्तित्व के मालिक थे। 13 फ़रवरी 1945 को अमृतसर में जन्मे विनोद मेहरा के फ़िल्मी सफर की शुरुआत बतौर बाल कलाकार हुई। 1958 की फिल्म “रागिनी” में उन्होंने किशोर कुमार के बचपन की भूमिका निभाई। इसके अलावा “बेवक़ूफ़” और “अंगुलिमाल” में भी बाल कलाकार के रूप में दिखे। लेकिन जल्दी ही वो परदे पर हीरो के रूप में नज़र आए।
1965 में जिस आल इंडिया कांटेस्ट को जीत कर राजेश खन्ना फिल्मों में आए विनोद मेहरा उस कांटेस्ट के रनर-अप थे। एक दिन वो मुंबई के एक मशहूर रेस्ट्रॉं में बैठे थे जहाँ एक्टर डायरेक्टर रूप के शौरी की नज़र उन पर पड़ी। और उन्होंने वहीं विनोद मेहरा को अपनी फ़िल्म में मौक़ा देने का फ़ैसला किया। और इस तरह 1971 की फ़िल्म “एक थी रीटा” में वो पहली बार बतौर हीरो नज़र आये। फिल्म कामयाब रही और उसके बाद उनकी “ऐलान” “अमर प्रेम” “लाल पत्थर” जैसी कुछ फिल्में आई लेकिन असली पहचान मिली फिल्म “अनुराग” से।
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फ़िल्मी सफ़र उनके जैसा ही सरल और सहज रहा
“अनुराग” शक्ति सामंत की फ़िल्म थी जो 1972 में रिलीज़ हुई, इस फिल्म में उनकी हेरोइन थीं मौशमी चैटर्जी जिनके साथ उनकी सबसे ज़्यादा फ़िल्में आईं और इस जोड़ी को पसंद भी बहुत किया गया। “अनुराग” ने उन्हें फ़िल्म इंडस्ट्री में स्थापित कर दिया। इसके बाद तो दो दशक के अपने करियर में विनोद मेहरा ने क़रीब 100 फ़िल्मों में अभिनय किया। “बेमिसाल”, “नागिन”, “रफ़्तार”, “अनुरोध”, “घर”, “स्वर्ग-नर्क”, “सबसे बड़ा रुपैया”, “साजन बिन सुहागन”, “खुद्दार”, “साजन की सहेली”, “उस्तादी उस्ताद से” और “कर्तव्य” उनकी कुछ महत्वपूर्ण फिल्में हैं।
विनोद मेहरा की मेथड एक्टिंग से बहुत से फिल्मकार प्रभावित थे और प्रशंसकों का प्यार तो उन्हें मिल ही रहा था। आपने सुना होगा कि जब किसी फ़िल्म में दो या दो से ज़्यादा स्टार्स काम कर रहे हों तो उनके अहम् टकरा ही जाते हैं जो निर्माता-निर्देशक के लिए मुश्किल का सबब बन जाता है। पर विनोद मेहरा का नाम ऐसे किसी विवाद से नहीं जुड़ा, जबकि उन्होंने ज़्यादातर दो हीरोज़ वाली या मल्टीस्टारर फिल्में की, पर उनकी वजह से कभी कोई दिक्कत नहीं आई। उनके इस प्रोफेशनल व्यवहार के कारण भी फ़िल्मकार उन्हें लेना पसंद करते थे।
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बाद के दौर में विनोद मेहरा ने कई फिल्मों में नकारात्मक और भाई, दोस्त या पुलिस अफ़सर की चरित्र भूमिकाएं भी कीं। 80 के दशक के आख़िर में उन्होंने एक फ़िल्म का निर्माण और निर्देशन भी किया। वो फिल्म थी ऋषि कपूर की “गुरुदेव” लेकिन फ़िल्म पूरी होती इससे पहले ही 30 अक्टूबर 1990 को 45 साल की कम उम्र में ही हार्ट-अटैक से उनकी मौत हो गई। उनकी मौत के बाद राज सिप्पी ने ये फ़िल्म पूरी की और 1993 में इसे प्रदर्शित किया गया। उनके अभिनय से सजी कुछ फिल्में उनकी मौत के बाद रिलीज़ हुई।
विनोद मेहरा बहुत ही विनम्र स्वाभाव के थे। एक अच्छे व्यवहार वाले अभिनेता को फ़िल्मों में सुपर स्टार का दर्जा तो नहीं मिला पर उनके स्वाभाविक अभिनय और साधारण व्यक्तित्व में वो जादू ज़रूर था कि लोग उन्हें बार-बार देखना चाहते थे। इसीलिए उनका फ़िल्मी सफ़र एक सीधी लकीर पर चलता रहा, बिना किसी उतार-चढ़ाव के।
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उनके निजी जीवन और रिश्तों में काफ़ी उतार-चढ़ाव रहा
उनके फ़िल्मी सफ़र से उलट उनकी निजी ज़िंदगी में काफ़ी उतार-चढ़ाव रहे। उनकी पहली शादी उनकी माँ की पसंद से हुई थी। लेकिन जब उन्हें पहली बार दिल का दौरा पड़ा उसके बाद उस शादी में सब कुछ बिखरता गया और आख़िर में वो शादी टूट गई। उन्होंने दूसरी शादी की अभिनेत्री “बिंदिया गोस्वामी” से पर जल्दी ही ये शादी भी टूट गई इसके बाद ये अफ़वाह भी उड़ी कि उन्होंने अभिनेत्री रेखा से शादी की लेकिन कहते हैं कि विनोद मेहरा की मां रेखा को पसंद नहीं करती थीं इसीलिए ये रिश्ता आगे नहीं बढ़ा।
विनोद मेहरा और रेखा 70 के दशक के दौरान क़रीब आए थे, दोनों में इतनी अच्छी बांडिंग थी कि ये माना जाने लगा था कि दोनों ने शादी कर ली है। लेकिन बाद में रेखा ने एक टीवी शो में सिमी गरेवाल के सवाल का जवाब देते हुए इस शादी से इनकार कर दिया था। आख़िर में विनोद मेहरा की शादी हुई केन्या बेस्ड एक व्यवसायी की बेटी किरण से। किरण मेहरा के मुताबिक़ रेखा विनोद मेहरा के जीवन में अंत तक बनी रही, रेखा और विनोद मेहरा में बहुत सी बातें एक जैसी थीं। शायद इसीलिए दोनों अंत तक बेहद अच्छे दोस्त बने रहे।
विनोद मेहरा के दो बच्चे हैं, बेटी सोनिया और बेटा रोहन। विनोद मेहरा की मौत के बाद उनकी पत्नी किरण बच्चों के साथ केन्या जाकर बस गई थीं। उनकी बेटी सोनिया केन्या और लंदन से पढ़ीं सोनिया ने 8 साल की उम्र में एक्टिंग की ट्रेनिंग लेनी शुरू कर दी थी। लंदन एकेडमी ऑफ म्यूजिक एंड ड्रामेटिक आर्ट्स के एक्टिंग एग्जामिनेशन में उन्हें गोल्ड मेडल भी मिला था। एक्ट्रेस और ट्रेंड डाँसर सोनिया 17 साल की उम्र में मुंबई आ गईं थीं। उन्होंने ‘एक मैं और एक तू’, ‘रागिनी एमएमएस 2’ जैसी फिल्मो का हिस्सा रही हैं हालंकि बीते कई सालों से फिल्म इंडस्ट्री से दूर हैं। विनोद मेहरा का बेटा रोहन भी फ़िल्मों में सक्रिय है।