उषा उथुप

उषा उथुप अपने गानों और यूनिक स्टाइल और ऊर्जावान हँसमुख व्यक्तित्व के लिए जानी जाती हैं। मगर उनके स्टाइल की तरह ही उनका निजी जीवन भी बहुत अलग रहा। आइए जानते हैं उनकी प्रेम कहानी के विषय में।

प्यार क्या है सिर्फ़ वक़्ती जज़्बात या न बदलने वाला एहसास, ऐसा क्या होता है कि इंसान दुनिया की रवायात के ख़िलाफ़ जाकर ऐसा कुछ करने पर मजबूर हो जाता है जो उसने कभी ख़्वाब में भी नहीं सोचा होता। शायद ऐसे ही कुछ सवाल उस समय उषा अय्यर (उषा उथुप) के मन में भी आये होंगे जब शादीशुदा होने के बावजूद उनका दिल किसी और की तरफ़ खिंचने लगा था।

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उषा उथुप की शादी 18 साल की उम्र में ही हो गई थी

ये कहानी है उस सिंगर की जो माथे पर बड़ी सी बिंदी लगाए, हाथों में चूड़ियाँ, बालों में गजरा और कांजीवरम की साड़ी पहने, गाती हैं – जैज़ और पॉप सांग्स इसीलिए उन्हें क्वीन ऑफ़ इंडियन पॉप कहा जाता है। उषा उथुप जिनका जन्म हुआ एक तमिल हिन्दू परिवार में, तो अतीत से शुरू करते हैं जब वो उषा सामी थीं। अपने समय की मशहूर सामी सिस्टर्स की छोटी बहन जो कभी सामी सिस्टर्स की परछाईं नहीं बनी। बल्कि अपनी अलग आवाज़ और अंदाज़ के ज़रिए उन्होंने एक अलग पहचान बनाई।

उषा उथुप
उषा उथुप अपनी बहनों के साथ

सामी परिवार में सभी को संगीत का बहुत शौक़ था वही शौक़ उषा में भी आया। वेस्टर्न म्यूजिक उन्हें बेहद पसंद था, लेकिन जब उन्होंने JJ स्कूल ऑफ़ आर्ट्स में दाख़िला लेने का फ़ैसला किया तो सब चौंक गए क्योंकि उस समय के ज़्यादातर माता-पिता की तरह उनके पेरेंट्स भी यही चाहते थे कि वो BA, MA की पढ़ाई करें और कोई सीधी सादी नौकरी करें। मगर उषा की ज़िन्दगी में कुछ भी सीधा नहीं था।

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जब उषा ( उषा उथुप ) सिर्फ़ 18 साल की थीं बिंदास टॉम बॉय क़िस्म की लड़की, तभी उनकी शादी रामास्वामी अय्यर के साथ कर दी गई जो उनकी बहन के देवर होने के नाते उनके अच्छे दोस्त थे। शादी और रिश्तों को लेकर उनकी तब तक कोई ऐसी पसंद भी नहीं थी कि इस शादी से उन्हें कोई फ़र्क़ पड़ता। शादी के बाद ज़िम्मेदारियाँ तो बढ़ीं मगर करियर को लेकर कभी कोई बाधा नहीं आई उस लिहाज़ से रामास्वामी अय्यर जिन्हें सब प्यार से रामू कहते थे एक अच्छे पति साबित हुए।

उषा अपने काम ख़ुद करना पसंद करती हैं

उषा अब सामी से अय्यर बन चुकी थीं और J J स्कूल ऑफ़ आर्ट्स में पढ़ रही थीं। लेकिन साथ ही साथ अपने जेबख़र्च के लिए कार्ड्स भी डिज़ाइन करने लगी थीं, और उन्हें कपड़े सीने का भी बहुत शौक़ था वो अक्सर अपनी बहनों के बच्चों के लिए कपड़े सिया करती थीं। आपको जानकर हैरानी होगी कि अभिनेता राजेंद्र कुमार की बेटी डिम्पल के लिए भी वो फ्रॉक बनाया करती थीं। दरअस्ल शुरु से ही अपने सभी काम करना उन्हें बेहद पसंद रहा है। फिर चाहे अपनी साड़ी से मैच करते जूते डिज़ाइन करना हो या ख़ुद ही साड़ी पर प्रेस करना घर के काम उन्हें ख़ुशी देते हैं।

उषा उथुप
उषा उथुप

एक पारम्परिक इज़्ज़तदार परिवार में जन्म लेने और उसी तरह के परिवार में शादी करने के बावजूद उषा (उषा उथुप ) के गाने की शुरुआत नाईट क्लब से हुई, वो भी इत्तिफ़ाक़न।  1967 की बात है, उषा अय्यर गर्मियों की छुटियों में अपने पति के साथ अपनी मामी के घर मद्रास गई हुई थीं। उनकी आंटी उन्हें डिनर के लिए एक क्लब ले गई थीं, जहाँ म्यूजिक बज रहा था और उषा गुनगुना रही थीं तब मामी ने सबके सामने गाने पर ज़ोर दिया तो उन्होंने बिना किसी झिझक के वहां गाना शुरु किया।

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उनका गाना लोगों को इतना पसंद आया कि फिर वहाँ उन्होंने क़रीब 45 मिनट तक गाया। उसके बाद क्लब के मालिक ने उनसे गुज़ारिश की कि उस पूरे हफ्ते वो क्लब में गाएँ और उन्होंने गाया। आख़िरी दिन उन्हें गिफ़्ट में कांजीवरम की साड़ी मिली, जो उनकी पहली कांजीवरम की साड़ी थी। इस तरह उषा अय्यर ( उषा उथुप ) की प्रोफेशनल सिंगिंग की शुरुआत हुई। और फिर उन्हें इसी तरह के प्रस्ताव मिलने लगे।

उषा ने इस धारणा को तोड़ा कि नाईट क्लब्स में गाना बुरा होता है

आज भी नाईट क्लब्स में गाना बहुत बुरा माना जाता है और यहाँ बात हो रही है 60 के दशक की। मगर उन्होंने नाईट क्लब्स की बुरी इमेज को तोडा और इस धारणा को भी कि नाईट क्लब्स में गाना गाना बुरा होता है। इस लिहाज़ से उन्होंने एक नया example सेट किया। फिर तो चेन्नई के अलावा दिल्ली, कोलकाता, और मुंबई के बहुत से नाईट क्लब्स में उन्होंने गाने गाए। साथ ही जिंगल गाने के मौक़े भी मिलने लगे और वहीं से फ़िल्मी दुनिया के रास्ते भी खुले। लेकिन नाईट क्लब में गाने का सिलसिला जारी रहा। और इसी सिलसिले ने उनकी ज़िंदगी में हलचल मचाई और फिर उस ख़ुशबू से महकाया जिससे वो अब तक अनजान ही थीं – मोहब्बत की ख़ुशबू।

उषा उथुप
युवा उषा उथुप

1969 में उन्हें कोलकाता के मशहूर नाईट क्लब ट्रिंकास में गाने के लिए invite किया गया। उन्हें कोलकाता बचपन से ही अपनी तरफ़ खींचता था इसलिए इस इनविटेशन से उन्हें बहुत ख़ुशी हुई। उषा के पति रामास्वामी अय्यर अक्सर उनके साथ जाते थे, वैसे तो उनकी अपनी अच्छी ख़ासी नौकरी थी मगर जब भी पत्नी के करियर की बात आती थी वो हमेशा उनका साथ देते थे। जब ये दोनों कोलकाता पहुँचे तो ट्रिंकास के मालिकों ने उनका पुरज़ोर स्वागत किया। वहाँ उन्हें तीन हफ़्तों तक गाना था, उन दिनों कलकत्ता के अख़बारों में उषा अय्यर की हेडलाइंस हुआ करती थीं कि एक साउथ इंडियन लड़की कलकत्ता के नाईट क्लब में गा रही है।

प्यार के एहसास को पहली बार शादी के 5 साल बाद महसूस किया

एक दिन उषा गाना गा रही थीं और दूर एक टेबल पर उनके पति बैठे थे। एक छोटे से ब्रेक के दौरान लम्बी-चौड़ी क़द-काठी का, सज्जन सा दिखने वाला युवक उनके पास आया। उसने अपना परिचय दिया, उनकी तारीफ़ की और एक गाने की फ़रमाइश की। उस वक़्त उन्होंने वो गाना तैयार नहीं किया था इसलिए नहीं गा सकती थीं तो उन्होंने उस युवक से कहा कि वो सोमवार को गाएँगी। सोमवार आया, लेकिन उन्होंने वो गाना नहीं गाया, उनके पति ने पूछा भी कि वो गाना क्यों नहीं गाया तो उन्होंने कहा कि जिसने फ़रमाइश की थी वो आया ही नहीं इसलिए नहीं गाया।

जब उनके शो का आख़िरी दिन था उस दिन वो युवक क्लब आया और उसे देखते ही उषा ( उषा उथुप ) ने उसकी पसंद का गाना गाया जो उस युवक यानी जानी चाको उत्थुप को बहुत पसंद आया। उन कुछ पलों की बातचीत में उषा ने ये भी महसूस किया कि उसके चेहरे से मूँछे ग़ायब हैं और उन्होंने बेझिझक ये कह भी दिया तब जानी चाको ने पूछा कि क्या उन्हें फिर से मूँछें उगानी चाहिए? इस पर उषा ने हंसकर कहा why not ? बस ये दो जुमलों की बातचीत और उषा की हँसी इतना ही…… और दोनों अपनी अपनी राह पर चल पड़े।

उषा उथुप
उषा उथुप

उषा वापस अपने  पति के साथ बॉम्बे आ गईं लेकिन कुछ ही महीनों के बाद ट्रिंकास की तरफ़ से उन्हें फिर बुलाया गया। दोनों फिर से कोलकाता पहुँचे। इस बार जब उषा कोलकाता गईं तो बहुत से नए गानों की तैयारी करके गईं। जब हमें ये पता हो कि कोई आपके काम में रूचि ले रहा है तो अपने अंदर से कुछ नया करने का enthusiasm आता है यही हुआ उषा के साथ।

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जब भी उषा अपने पति के साथ बाहर टूर पर जाती थीं तो उन्हें इस बात का बुरा लगता था कि जब वो परफॉर्म करती थीं तो रामू अकेले बोर होते थे उनका वहाँ कोई दोस्त तो था नहीं। लेकिन एक दिन उषा ने देखा कि जानी चाको और रामास्वामी अय्यर एक दूसरे से बात कर रहे थे। उन्हें अच्छा लगा कि रामू को उस अंजान शहर में कोई कंपनी तो मिली। मगर उस कंपनी का रामू पर क्या असर हुआ इसका पता उन्हें बाद में लगा। अगले दिन रामास्वामी अय्यर और जानी लंच पर गए जहाँ जानी चाको ने उनसे ऐसी बात कह दी जिसे कोई भी पति सुनना नहीं चाहेगा।

उषा उथुप
उषा उथुप

फिर उस शाम रामास्वामी अय्यर क्लब नहीं आए, जानी चाको ने उषा को गेस्ट हाउस तक छोड़ा। मगर जानी चाको को देखकर रामू का गुस्सा फूट पड़ा उन्होंने जानी को वहाँ से जाने को कह दिया। मगर उषा को समझ नहीं आया कि अमूमन शांत स्वभाव के रामू अचानक इतने आग बबूला कैसे हो गए ? तब उनके पति ने उन्हें बताया कि लंच पर जानी चाको ने उनसे कहा कि जानी उषा से प्यार करते हैं। साथ ही रामू ने एक सवाल दागा कि क्या वो भी जानी से प्यार करती हैं ? और उषा के मुँह से निकला – हाँ।

ये सुनते ही रामू के सब्र का बांध बिलकुल टूट गया फिर उस रात और बहुत कुछ टूटा, कमरे के सारे काँच, विश्वास और पाँच साल लम्बा शादी का रिश्ता जिसमें प्यार का नर्म नाज़ुक़ एहसास कभी रहा ही नहीं था, बस ज़िंदगी चल रही थी। उसमें कोई दुःख नहीं था पर शादीशुदा जीवन की कोई ख़ुशी भी नहीं थी। जानी के आने से उषा के मन में प्यार का एहसास पनपने लगा था जो शायद उन्होंने ख़ुद से भी छुपाया था लेकिन रामू के पूछने पर सच अचानक ज़बान पर आ गया।

अपने प्यार को पाने के लिए उषा ने हर दर्द, हर मुश्किल को अकेले ही सहा

इसके बाद जो कुछ भी हुआ वो बहुत मुश्क़िल था। हज़ारों ऐसी बातें थीं जिनकी उषा को फ़िक्र थी। सबसे पहले तो गिल्ट— अपने दोस्त को दुःख पहुँचाने का गिल्ट। और फिर उनके इस क़दम से उनकी बड़ी बहन की शादीशुदा ज़िन्दगी पर असर पड़ सकता था क्योंकि दोनों की शादी एक ही परिवार में हुई थी। फिर समाज क्या कहता ? आज का समाज भी पूरी तरह हिप्पोक्रेट है मर्द शादीशुदा होकर कुछ भी करे ज़्यादा बवाल नहीं मचता मगर एक शादीशुदा स्त्री अगर मन की ख़ुशी को पाने के लिए शादी तोड़ती है तो आज भी उस स्त्री को आसानी से माफ़ नहीं किया जाता, और ये तो कोई 60 -65 साल पुरानी बात है।

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इन सबसे सबसे बढ़कर अपने माता-पिता का ख़याल जो उनके इस क़दम से बहुत दुखी होते क्योंकि दुनिया और परिवार की नज़र में तो उनकी लाइफ परफेक्ट थी। लेकिन सिर्फ़ वही जानती थी कि उनकी परफेक्ट दुनिया में कितना सूनापन था। मगर ये तो सिर्फ़ शुरुआत थी इसके बाद ये सूनापन और दूरियाँ और ज़्यादा बढ़ गईं। अगली बार जब उषा ट्रिंकास में शो करने गई तो रामास्वामी अय्यर ने साथ जाने से मना कर दिया।

उषा उथुप
उषा उथुप के एल्बम

इस ट्रिप पर उषा एक पुरानी बीमारी का शिकार हो गईं जिसमें उनकी हालत इतनी ख़राब हो गई थी कि लकवा हो जाने का ख़तरा महसूस होने लगा उन्हें अस्पताल में दाख़िल कराया गया जहाँ जानी चाको ने पूरी लगन से उनकी तीमारदारी की, सिर्फ़ कलकत्ता में ही नहीं बल्कि बॉम्बे लौटने के बाद भी जो सहारा उन्होंने दिया उसने उषा के विश्वास को और मज़बूत कर दिया। उनका अपने पति से रिश्ता ख़राब तो हो ही चुका था, फिर एक वक़्त आया जब साथ रहना मुश्किल हो गया तब उषा ने रामू का घर और वो शहर दोनों छोड़ दिए। और फिर तलाक़ का प्रोसेस शुरु हो गया जिसमें रामू ने भी कोई ऐतराज़ नहीं किया।

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वो बहुत मुश्क़िल वक़्त था– सभी के लिए ख़ासकर उषा के लिए क्योंकि तलाक़ के मामले में किसी भी तरह का सहयोग देने से पिता ने साफ़ इंकार कर दिया था वो एक बेटी के लिए दूसरी बेटी की गृहस्थी के साथ नहीं खेल सकते थे और ये बात उषा समझती थीं। इसलिए उस दौर की सभी मानसिक, शारीरिक, सामाजिक उलझनों को उन्होंने अकेले ही सहा। पर जब प्यार का एहसास अपनी हस्ती से भी बड़ा हो तो इंसान हर मुश्किल से बाहर निकल आता है।

उषा अय्यर, उषा उथुप के तौर पर पूरी दुनिया में मशहूर हुई

हर क़दम पर जानी चाको ने उनका साथ दिया उस वक़्त भी जब ख़ुद उनकी माँ उषा को धमकी दे आई थीं वही पुरानी समस्या अपने क्रिश्चन परिवार में किसी हिन्दू लड़की को वो बहु बनाकर नहीं लाना चाहती थीं। लेकिन उस समय जानी उषा के साथ मज़बूती से खड़े रहे। जानी के इसी प्यार और विश्वास के सहारे उषा ने अपनी नई दुनिया बसाई। उषा उथुप और जानी चाको के प्यार को अपनी मंज़िल मिली रामास्वामी अय्यर और उषा के तलाक़ के बाद1971 में। कोलकाता में ट्रिन्कास के मालिक पहले से ही उन्हें घर के सदस्यों की तरह ट्रीट करते थे तो उन्हीं के घर पर बहुत सादगी से उषा और जानी चाको की शादी हुई।

उषा उथुप
उषा उथुप और जानी चाको उथुप

उषा उथुप और जानी चाको की शादी में जानी के परिवार से कोई शामिल नहीं हुआ लेकिन उषा के माता-पिता और एक भाई ने उन्हें आशीर्वाद दिया। और अगले साल उषा उथुप के घर एक नन्ही सी बच्ची अंजलि का जन्म हुआ जिसे लेकर वो अपने सास-ससुर से मिलने पहुंचीं इसके साथ ही घरों और दिलों में आई दूरियाँ ख़त्म हो गईं। फिर अगले साल उनकी दूसरी औलाद का जन्म हुआ जिसका नाम रखा गया सनी और उषा उथुप के सपनों की दुनिया साकार हो गई।

उषा उथुप
उषा उथुप, जानी चाको उथुप और उनका परिवार

उषा सामी जो कुछ सालों तक उषा अय्यर के नाम से जानी गईं थी अब वो उषा उत्थुप बन चुकी थीं जिस नाम से सारा जहाँ उन्हें जानता है। उषा उथुप के दीवानों में मडोना से लेकर हॉलीवुड-बॉलीवुड की कई बड़ी हस्तियों का नाम शामिल है। ज़िन्दगी ऐसी ही है, खुशियां देने पर आती है तो सारा ख़ज़ाना लुटा देती है और दुःख देने पर आती है तो किसी को नहीं बख़्शती। आज जानी चाको इस दुनिया में नहीं हैं मगर उनका प्यार उषा उथुप के साथ है।