टेढ़ी खीर खाई है आपने ? या कभी ऐसा महसूस किया है? मतलब कोई मुश्किल बहुत मुश्किल काम में फँसने जैसा ! यानी जो इस कहावत का मतलब है। टेढ़ी खीर, चने चबाना, पापड़ बेलना इन सभी कहावतों का एक ही मतलब है, किसी मुश्किल काम को अंजाम देना। तो आइये अब बढ़ते हैं इस कहावत की कहानी की तरफ।
टेढ़ी खीर कहावत की कहानी
कहानी कुछ इस तरह है के दो भिखारी थे, दोनों साथ ही रहते थे। उनमें से एक जन्म से ही देखने में असमर्थ था, यानी ब्लाइंड था, दृष्टिहीन था। दोनों रोजाना सुबह-सुबह भीख मांगने निकल पड़ते और शाम होने पर वापस अपने ठिकाने पर लौट आते। दोनों अपने पूरे दिन की बातें अक्सर एक दूसरे को सुनाया करते।
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एक बार शाम को जब दोनों लौटे तो एक भिखारी ने कहा आज मुझे खीर मिली। जो जन्म से अँधा था उसने कभी खीर देखी नहीं थी, शायद कभी खाने को भी नहीं मिली थी। तो वो खीर का मतलब समझ नहीं पाया, उसने पूछा खीर…. वो क्या होती है, कैसी होती है ? दूसरा भिखारी बोला – अरे ! तुम्हें खीर नहीं पता ? तुमने कभी खीर का नाम नहीं सुना, कभी खीर नहीं खाई ?
नेत्रहीन भिखारी बोला नहीं मैं तो पहली बार तुमसे ही सुन रहा हूँ। बताओ न खीर कैसी होती है? दूसरे भिखारी ने तपाक से कहा – खीर मीठी-मीठी होती है एकदम मुलायम और सफ़ेद।
दृष्टिहीन भिखारी ने पूछा – सफ़ेद…. ये सफ़ेद कैसा होता है ?
अब दूसरा भिखारी मुश्किल में पड़ गया, सोचने लगा कि कैसे बताए कि सफ़ेद कैसा होता है ? उसने बहुत सारे उदहारण दे डाले – सफ़ेद रुई, सफ़ेद दांत, सफ़ेद बाल, सफ़ेद चूना, मगर जिसने कभी रंग ही न देखे हो उसे इन सब के बारे में भी कैसे पता चलता?
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खीर के बारे में अपने साथी को समझाना उस दूसरे भिखारी के लिए टेढ़ी खीर बन गई। वो अभी सोच ही रहा था कि क्या करे तभी उसे पास में, सामने एक बगुला दिखाई दिया। वो उठा और उस बगुले को पकड़ कर ले आया और उसे अपने साथी की गोद में रखकर कहा – इस बगुले की तरह मुलायम और सफ़ेद होती है खीर।
नेत्रहीन भिखारी ने अपनी गोद में रखे बगुले के शरीर पर हाथ फेरा उसे बहुत ही नरम अहसास हुआ लेकिन उसका हाथ कभी ऊपर कभी नीचे जा रहा था और तभी वो चहक कर बोला – अच्छा! तो ऐसी टेढ़ी होती है तुम्हारी खीर…. । दूसरे भिखारी ने कुछ नहीं कहा बस चैन की सांस ली कि चलो उसे खीर का मतलब तो समझ आया। वर्ना ये तो उसके लिए टेढ़ी खीर बन गई थी।
तभी से किसी भी मुश्किल काम के लिए टेढ़ी खीर कहावत/मुहावरे का प्रयोग होने लगा। कहावतें हमारी रोजमर्रा की बातचीत का हिस्सा रही हैं, और इन कहावतों मुहावरों का जन्म भी रोज़मर्रा के जीवन से ही हुआ है। मगर हम इनके जन्म की कहानी के बारे में बहुत कम जानते हैं। अपनी जानकारी में इज़ाफ़ा करने की एक कोशिश है – कहावतों की कहानियाँ।
ये वो कहावतें हैं जिनका इस्तेमाल हमरे बड़े बुज़ुर्ग रोज़ की बातचीत में करते थे, इसीलिए बच्चे भी इनके बारे में बहुत अच्छी तरह से जानते थे। “गागर में सागर” के जैसी इन कहावतों के माध्यम से बच्चों को बातों-बातों में भाषा और व्याकरण का ज्ञान हो जाता था। कहावतों के विषय में आपके कोई विचार हों तो कमेंट के माध्यम से साझा करें।
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