मीना कपूर अपने समय की वो सुरीली गायिका जिन्होंने कई हिट गाने गाये मगर आज उनके बारे में लोग कम ही जानते हैं। जब जब मैं भूले बिसराए हुए कलाकारों फ़नकारों के बारे में पढ़ती हूँ तो कभी-कभी मुझे बहुत अचरज होता है कि क्यों कोई फ़नकार सभी ख़ूबियों के बावजूद उस मुक़ाम तक नहीं पहुँच पाता, जहाँ कई बार हम ऐसे लोगों को देखते हैं जो शायद टैलेंट में उनके बराबर भी नहीं होते।
मीना कपूर एक फ़िल्मी माहौल में पली बढ़ीं, फ़िल्मों में करियर बनाया, पति भी फ़िल्मों से जुड़े रहे मगर वो उस सफलता से हमेशा दूर ही रहीं जो आज इंडस्ट्री के बच्चों को आसानी से मिल जाती है। मीना कपूर ने बहुत से मेलोडियस गीत गाए। मगर उस दौर की कई दूसरी गायिकाओं की तरह उनके बारे में भी लोग बहुत कम जानते हैं।
मीना कपूर का जन्म 1930 में कोलकाता में हुआ। उनके पिता बिक्रम कपूर “न्यू थिएटर्स” में अभिनेता थे और PC बरुआ जैसे एक्टर-डायरेक्टर मीना कपूर के अंकल थे। इस तरह देखें तो फ़िल्मी माहौल उनके लिए कभी अजनबी नहीं रहा। वो बचपन से ही गाने की शौक़ीन थीं, हाँलाकि हर पिता की तरह उनके पिता भी यही चाहते थे कि वो पहले अपनी पढाई पूरी कर लें। लेकिन संगीतकार S D बर्मन हमेशा उनके पिता को समझाते थे कि उनके टैलेंट को दबाएं नहीं। और फिर वही हुआ कि उनका टैलेंट छुपा नहीं रह सका और उन्होंने 11 साल की उम्र से ही प्लेबैक देना शुरु कर दिया।
मीना कपूर ने अपना पहला गाना म्यूजिक डायरेक्टर नीनू मजूमदार के लिए रिकॉर्ड किया था, मगर उनका पहला रिलीज़ ट्रेक आया 1946 की फ़िल्म “आठ दिन” में। 1947 की फ़िल्म शहनाई के गाने “आना मेरी जान मेरी जान संडे के संडे” से उन्हें बहुत शोहरत मिली।
1948 में एक फिल्म आई थी “अनोखा प्यार” अनिल बिस्वास से उनकी मुलाक़ात इसी फ़िल्म के गानों की रिकॉर्डिंग के दौरान हुई। अनिल बिस्वास को उनकी आवाज़ से प्यार हुआ और फिर साथ काम करते करते दोनों एक दूसरे के क़रीब आ गये। हाँलाकि अनिल बिस्वास पहले से शादी शुदा और चार बच्चों के पिता थे मगर 1954 में उन्होंने अपनी पहली पत्नी आशालता बिस्वास को तलाक़ दे दिया और 1959 में मीना कपूर से शादी कर ली।
हाँलाकि हाल ही में कुछ विश्वसनीय सूत्रों से जो मुझे पता चला वो मेरे लिए थोड़ा शॉकिंग था पर उसे मैं ज्यों का त्यों यहाँ लिख रही हूँ – “अनिल बिस्वास और उनकी कभी शादी नहीं हुई, वो हमेशा लिव-इन में रहे। बाद में कुछ लीगल इशू खड़े होने की वजह से मीना कपूर चाहती थीं कि अनिल बिस्वास उनसे बाक़ायदा शादी कर लें मगर ऐसा हुआ नहीं। इसीलिए अनिल बिस्वास की मौत के बाद मीना कपूर अचानक दिल्ली की प्रॉपर्टी बेचकर कोलकाता चली गईं।” उस ज़माने में ये एक बड़ा क़दम था मगर ये उनका निजी चुनाव था और उस पर सवाल खड़ा करने का किसी को कोई हक़ नहीं है। इसलिए वापस लौटते हैं उनके करियर की तरफ़।
फिल्म इंडस्ट्री में मीना कपूर की सबसे गहरी दोस्त थीं गीता दत्त और ये दोस्ती आखिर तक क़ायम रही। हाँलाकि दोनों ने साथ में बहुत ज़्यादा काम नहीं किया मगर दोस्ती अटूट रही। 1950 की फिल्म ‘आधी रात” में पहली बार दोनों का एक डुएट आया था – ‘मैंने बालम से पूछा मिलोगे कहाँ’ इसके बाद 1950 की “जलते दीप” ‘आई मिलन की रात’ और 1951 की “घायल” में भी दोनों ने साथ में गाना गाया।
मीना कपूर की आवाज़ बहुत सॉफ्ट, क्लियर और एक्सप्रेसिव थी। एक म्यूजिक हिस्टोरियन के मुताबिक़ उनकी आवाज़ में पंजाबी खनक और बंगाली मिठास दोनों का अद्भुत सम्मिश्रण मिलता है। अपने छोटे से करियर में उन्होंने 125 से भी ज़्यादा गाने गाए लेकिन उन्हें वो पहचान कभी नहीं मिली जो उस दौर की बाक़ी गयिकाओं के हिस्से में आई। इसका क्या कारण रहा ये तो कहना मुश्किल है। कुछ लोग बहुत ज़्यादा महत्वाकांक्षी नही होते, इसीलिए करियर के पीछे बहुत ज़्यादा भागते नहीं हैं हो सकता है मीना कपूर वैसी ही हों।
पर ये दुखद है कि बहुत से हिट गाने देने के बावजूद ज़्यादातर बड़े बैनर्स और नामी म्यूज़िक डायरेक्टर्स उनसे दूर ही रहे। ज़्यादातर कम बजट की फ़िल्मों में ही उनकी आवाज़ का इस्तेमाल हुआ। अनिल बिस्वास ने भी अपने ज़्यादातर गानों के लिए लता मंगेशकर की आवाज़ लेना बेहतर समझा। या इसे प्रोफेशन की मजबूरी कह लें क्योंकि उस समय सभी निर्माता निर्देशक लता मंगेशकर से ही गाने गवाना चाहते थे।
वो फ़िल्म जिसमें मीना कपूर का गाया आख़िरी गाना सुनाई दिया वो थी 1965 में आई “छोटी-छोटी बातें” जो संगीतकार के तौर पर अनिल बिस्वास की आख़िरी फ़िल्म थी और अभिनेता मोतीलाल की भी आख़िरी फिल्म थी। ये फ़िल्म उनका वो सपना थी जिससे उन्होंने निर्माण और निर्देशन में क़दम रखा मगर उनकी तबियत इस हद तक ख़राब हो गई थी कि बमुश्किल फ़िल्म पूरी हो पाई और फ़िल्म पूरी होने की ख़बर सुनते ही अस्पताल में उन्होंने दम तोड़ दिया। इस फिल्म में मीना कपूर का गाया एक गाना बहुत मशहूर हुआ था- कुछ और ज़माना कहता है कुछ और है ज़िद मेरे दिल की।
जिन दिनों “छोटी-छोटी बातें” फिल्म के गानों की रिकॉर्डिंग हो रही थी तो मीना कपूर का गाया ये गाना बहुत चर्चित हो गया था। और उन्हें कई बड़े ऑफर्स आ रहे थे और उधर अनिल बिस्वास को जल्द से जल्द दिल्ली जाकर आकाशवाणी ज्वाइन करना था। मगर दिल्ली जाने से मीना कपूर का फ़िल्म करियर वहीं रुक जाता। इसी दुविधा में अनिल बिस्वास फैसला नहीं ले पा रहे थे। तब मीना कपूर ने कहा कि “मैं करियर की वेदी पर अपने घर की बलि नहीं चढ़ाउंगी” और वो अपना सुनहरा भविष्य पीछे छोड़कर 1963 में अपने पति के साथ दिल्ली आ गईं।
1982 में जब मुंबई में पार्श्व गायन की स्वर्ण जयंती मनाई गई थी तो वहाँ लता मंगेशकर, सुरैया, शमशाद बेगम और राजकुमारी के साथ मीना कपूर भी शामिल हुई थीं और उन्होंने उस समारोह में परदेसी फ़िल्म का अपना मशहूर गाना गाया था – “रसिया रे मन बसिया रे” पहले विविध भारती पर ये गाना बहुत सुनाई देता था।
बच्ची होने के बावजूद इसकी ॠदम इसकी मेलोडी मुझे बहुत अच्छी लगती थी। और उस समय मुझे हर मीठी फीमेल वॉइस लता मंगेशकर की ही लगती थी तो एक लम्बे समय तक मुझे ये भ्रम रहा कि ये गाना लताजी ने गाया है। बहुत बाद में पता चला कि ये आवाज़ मीना कपूर की है। तब भी मुझे उनके गाये दूसरे मशहूर गानों का अंदाज़ा नहीं था क्योंकि उनके बारे में बहुत ज़्यादा जानकारी नहीं मिलती। लेकिन पिछले एक दो दशकों में गुमनाम कलाकारों फ़नकारों के विषय में काफी चर्चा होने लगी है जो वाकई एक अच्छी बात है
2003 में अनिल बिस्वास का निधन हुआ, तो उसके कुछ सालों बाद मीना कपूर कोलकाता चली गईं। अपनी मौत से कुछ महीनों पहले उन्हें लकवा मार गया था और 23 नवंबर 2017 को वो भी ये दुनिया छोड़ कर चली गईं।
1947 से 1965 तक मीना कपूर फ़िल्मों में सक्रिय रहीं, कम गाने गाए मगर दिल से गाए। शायद जब हिंदी फ़िल्मों के ऑल टाइम सिंगर्स की बात होगी तो उसमें मीना कपूर का नाम शामिल न हो, शायद लोग मीना कपूर के नाम को भी भुला दें, मगर उनकी आवाज़, उनके गाए गानों को कभी कोई नहीं भुला पाएगा।
मीना कपूर के गाये कुछ लोकप्रिय गीत
- आना मेरी जान संडे के संडे – शहनाई (47) – मीना, शमशाद, चितलकर – सी रामचंद्र – पी एल संतोषी
- आई गोरी राधिका ब्रज में – गोपीनाथ (48) – नीनू मजूमदार – सूरदास
- अब याद न कर – अनोखा प्यार (48) – मुकेश, मीना – अनिल बिस्वास – शम्स अज़ीमाबादी
- ग़म सहना है लब सीना है – रईस (48) – मनोहर अरोरा –
- एक छोटी सी चिंगारी – लाडली (49) – मीना कपूर -अनिल बिस्वास (वैराइटी पिक्चर्स अनिल बिस्वास की फिल्म कंपनी)
- प्यारा प्यारा है समा My Dear Come to Me – कमल (49) – मीना, मोतीलाल – S D बर्मन –
- मोरी अटरिया पे कागा बोले – आंखें (50) – मदन मोहन – भारत व्यास
- मैंने बालम से पूछा मिलोगे कहाँ – आधी रात (50) – गीता,मीना – हंसराज बहल – राजेंद्र कृष्ण
- आई मिलन की रात करो मीठी मीठी बात – जलते दीप (50) – गीता, मीना – सर्दुल क्वात्रा – अज़ीज़ कश्मीरी
- तेरा किसी पे आये दिल – घायल (51) – गीता, मीना – ज्ञान दत्त -मनोहर खन्ना
- भीगी-भीगी रात आई, लब पे दिल की बात आई – आकाश (53) – अनिल बिस्वास –
- मन का पँछी मस्त, पवन में उड़ता झोंके खाए – मेहमान (53) – अनिल बिस्वास
- ये समां हम तुम जवान – माशूक़ा (53) – किशोर, मीना – रोशन – शैलेन्द्र
- कभी तुम ख्वाब में – गुल सनोबर (53) – ख़ैयाम – नाज़िम पानीपती
- मैं क्या करूँ रूकती नहीं अश्कों की रवानी – मान (54) – अनिल बिस्वास –
- एक धरती है एक है गगन – अधिकार (54) – अविनाश व्यास – नीलकंठ तिवारी (पंजाबी खनक
- रसिया रे मन बसिया रे – परदेसी (57)-अनिल बिस्वास – प्रेम धवन
- कच्ची है उमरिया, कोरी है चुनरिया – चार दिल चार राहें (59) – अनिल बिस्वास
- मैं तो गिरधर के घर जाऊं – मीरा का चित्र (60) – अनिल बिस्वास
- किसी को यूँ तमन्नाओं में उलझाया नहीं करते – सुपरमैन की वापसी /return of superman (60) – अनिल बिस्वास
- लगी नहीं छूटे रामा – सौतेला भाई (62) – मीना, लता – अनिल बिस्वास – शैलेन्द्र
- कुछ और ज़माना कहता है – छोटी-छोटी बातें (65) – अनिल बिस्वास – शैलेन्द्र
मीना कपूर ऑन गीता दत्त –
इन्हें भी पढ़ें –
ज़ोहराबाई अम्बालेवाली
पहली “मिस इंडिया” प्रमिला
अज़ूरी – बॉलीवुड की 1st “आइटम गर्ल”
अचला सचदेव – बॉलीवुड की ओरिजिनल “ज़ोहरा जबीं”
[…] इन्हें भी पढ़ें – मीना कपूर […]