बिंदिया गोस्वामी ने हिंदी सिनेमा में 70-80 के दशक में कई महत्वपूर्ण फिल्में दीं, उनकी ज़िन्दगी और फ़िल्मी सफ़र पर एक नज़र डालते हैं।
70 के दशक में जहाँ ज़ीनत अमान, परवीन बॉबी जैसी ग्लैमरस अभिनेत्रियों का पदार्पण हुआ। वहीं कुछ ऐसी अभिनेत्रियाँ भी आईं जो ख़ूबसूरत तो थीं पर न तो परीलोक से आई लगती थीं, न ही पारम्परिक भारतीय नारी को परिभाषित करती थीं। वो आम सी लड़की लगती थीं, हमारे आस-पास की। स्वाभाविक अभिनय, सुन्दर सादा सा चेहरा और मध्यमवर्गीय परिवार की छवि लिए इन अभिनेत्रियों ने अपनी एक अलग छाप छोड़ी। इनमें से कइयों ने जब ग्लैमरस रोल्स किये तो बख़ूबी निभाए, बिंदिया गोस्वामी ऐसी ही अभिनेत्री रहीं।
इन्हें भी पढ़ें – नीतू सिंह कपूर! “The Girl Next Door”
6 जनवरी 1962 को जन्मी बिंदिया गोस्वामी सिर्फ़ 14 साल की थीं जब उन्होंने फ़िल्मों में क़दम रखा। उन्हें फ़िल्मों में लाने का श्रेय जाता है -हेमा मालिनी की माँ जया चक्रबर्ती को। बिंदिया गोस्वामी अपने पडोसी प्यारेलाल जी के बेटे के जन्मदिन की पार्टी में गई थीं। वहीं जया चक्रबर्ती ने उन्हें देखा और उन्हें बिंदिया गोस्वामी में अपनी बेटी की छवि दिखाई दी और बस उन्होंने तुरंत उन्हें अपनी फ़िल्म “जीवन ज्योति” के लिए साइन कर लिया।
इन्हें भी पढ़ें – अज़ूरी – बॉलीवुड की 1st “आइटम गर्ल”
बिंदिया गोस्वामी अपनी बड़ी बहन की तरह एयर-होस्टेस बनना चाहती थीं। जब फ़िल्म का प्रस्ताव आया उन दिनों वो पढ़ाई कर रही थीं, उनकी उम्र भी कम थी। पर जया चक्रबर्ती के व्यवहार और इमेज के कारण बिंदिया गोस्वामी के घरवालों ने निश्चिन्त होकर हां कर दी। “जीवन ज्योति” में वो विजय अरोड़ा की हेरोइन थीं। पर जो फ़िल्म इससे पहले रिलीज़ हुई, वो थी मुक्ति जिसमें उन्होंने शशि कपूर की बेटी की भूमिका की थी। पर कुछ साल बाद आई “शान” में वो उनकी हेरोइन बन कर आईं।
“जीवन ज्योति”, “मुक्ति”, “खेल क़िस्मत का”, “जय विजय”, “दुनियादारी”, “राम क़सम” जैसी फ़िल्मों के बाद बिंदिया गोस्वामी की वो फ़िल्म आई जिसने उनके करियर को बेहतर पहचान दिलाई। बासु चटर्जी की “खट्टा-मीठा” जिसमें उन्होंने एक पारसी लड़की ज़रीन का किरदार निभाया था जो अपने प्यार के लिए अपने अमीर पिता का घर छोड़कर एक मध्यमवर्गीय परिवार में आकर रहने लगती है।
इन्हें भी पढ़ें – टुनटुन उर्फ़ उमा देवी – हिंदी फ़िल्मों की 1st फ़ीमेल कॉमेडियन
“खट्टा-मीठा” के बाद बिंदिया गोस्वामी ने बासु चटर्जी के साथ “हमारी बहु अलका” और “प्रेम विवाह” जैसी फिल्में भी कीं। इस दौरान उन्होंने मुक़ाबला”, ख़ानदान”, “जानी दुश्मन”,”जानदार” जैसी कई फ़िल्में कीं। लेकिन जिस फ़िल्म को उनके करियर की सबसे महत्वपूर्ण फ़िल्म कहा जा सकता है, वो थी, हृषिकेश मुखर्जी की “गोलमाल”— जिसमें उन्होंने संस्कारी उसूलों वाले पिता की एक चुलबुली बेटी का रोल अदा किया था, जो अपने पिता से बिलकुल उलट थी। इस फ़िल्म में किशोर कुमार का गाया गाना “आनेवाला पल जाने वाला है” बहुत हिट हुआ था।
1976 से 1987 तक बिंदिया गोस्वामी ने गोलमाल, खट्टा-मीठा, शान, ख़ुद्दार, होटल, आमने-सामने, हमारी बहु अलका, बंदिश, जानी दुश्मन, कॉलेज गर्ल जैसी क़रीब 36 फ़िल्मों में अभिनय किया। बहुत कम उम्र में उन्होंने बड़ी कामयाबी हासिल की। 14 साल की उम्र में फ़िल्मों से जुड़ी बिंदिया गोस्वामी ने 15 साल की उम्र में अपनी ख़ुद की लक्ज़री गाड़ी ख़रीदी। 16 साल की हुईं तो अपना घर ले लिया था और 18 साल की उम्र तक फ़िल्मों में पूरी तरह स्थापित हो चुकी थीं।
1980 में बिंदिया गोस्वामी ने पहले से शादीशुदा विनोद मेहरा से शादी कर ली। विनोद मेहरा के साथ वो दादा, चोर-पुलिस, लालच, खून-ख़राबा, मक्कार जैसी कई फ़िल्मों में काम कर चुकी थीं। पर उनकी ये शादी चार साल ही चल पाई और दोनों अलग हो गए। इस अलगाव के कुछ समय बाद बिंदिया गोस्वामी ने निर्देशक J P दत्ता से शादी कर ली और फिर अपनी गृहस्थी में व्यस्त हो गईं।
इन्हें भी पढ़ें – प्रमिला – बोल्ड और बिंदास अभिनेत्री जो बनी 1st “मिस इंडिया
अभिनय से ज़्यादा आनंद उन्हें अपनी दोनों बेटियों की परवरिश में आता रहा। हाँलाकि वो फ़िल्मों से अलग नहीं हुईं वो अपने पति J P दत्ता की फिल्मों के लिए कॉस्टयूम डिज़ाइन करती हैं और इसी में वो ख़ुश हैं। और आज के दिन हम यही दुआ करेंगे कि वो हमेशा ख़ुश रहे।
[…] […]
[…] […]
[…] […]
[…] […]