बेला बोस बॉलीवुड की मशहूर डाँसर एक्ट्रेस अब इस दुनिया में नहीं रहीं। जब हम फ़िल्मी डांसर्स की बात करते हैं तो कुछ बड़े नामों के अलावा भी कई ऐसे नाम उभरते हैं जिन्होंने इन बड़े-बड़े नामों के बीच भी अपनी एक अलग पहचान बनाई। ऐसी ही एक डांसर थीं बेला बोस, जिन्होंने डांस के अलावा फ़िल्मों में एक्टिंग भी की।
बेला बोस के पास डांस सीखने के पैसे भी नहीं होते थे
कोलकाता के एक बड़े ही संपन्न परिवार में 18 अप्रैल 1941 को जन्मी बेला बोस के पिता कपड़ों के व्यापारी थे। लेकिन क़िस्मत ने पलटा खाया और जिन बैंकों में उनके परिवार की सारी जमा-पूंजी थी वो बैंक दिवालिया हो गए और परिवार रातों रात सड़क पर आ गया। उस वक़्त ज़्यादतर कपड़ा मिलें मुंबई में थी तो उनके पिता 1951 में परिवार सहित मुंबई आ गए। मुंबई में उनके पिता क़दम ज़माने की कोशिश कर ही रहे थे कि अचानक एक रोड एक्सीडेंट में उनकी मौत हो गई।
डांस में बेला बोस की रूचि बचपन से ही थी, लेकिन घर के हालात ऐसे नहीं थे कि वो डांस सीखने में पैसे ख़र्च कर सकें। लेकिन एक डांस टीचर उन्हें फ़्री में डांस सिखाने के लिए राज़ी हो गए मगर उसके बदले में बेला बोस और दूसरे विद्यार्थियों को उनके स्टेज शोज और फिल्मों में ग्रुप डांस फ़्री में करना पड़ता था। वहां से जो भी फ़ीस मिलती उसे वो टीचर रख लिया करते थे। लेकिन इसी तरह बेला बोस ने उनसे मणिपुरी डांस सीखाना शुरु किया। पर ये सब तब जल्दी ही बंद हो गया जब माँ नर्स की नौकरी करने लगीं और उन दोनों बहनों पर सबसे छोटे भाई की देखभाल की ज़िम्मेदारी आ गई।
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उधर जब वो काफ़ी दिनों तक डांस स्कूल नहीं गईं तो वहाँ के तबला मास्टर नवाब अली उनके घर पहुँचे और फिर उनकी मदद से बेला बोस को वो डांस शोज मिलने लगे जहाँ से वो चार पैसे भी कमाने लगीं। कुछ समय के बाद उन्होंने विपिन सिन्हा नाम के गुरूजी से डांस सीखा, जहाँ उनके साथ सीमा देव (रमेश देव और सीमा देव दोनों पति पत्नी अक्सर फ़िल्मों में साथ दिखाई देते थे) और आशा पारेख भी डांस सीखती थीं।
विपिन जी के साथ बेला बोस एक दिन फ़िल्म की शूटिंग देखने फ़िल्मिस्तान स्टूडियो पहुँची। वहां एक इंग्लिश मूवी “three headed snake” की शूटिंग चल रही थी उसमें बेला बोस ने मणिपुरी डांस किया जिसके लिए उन्हें 400 रुपए मेहनताना मिला। उस समय ये एक बहुत बड़ी रक़म थी ख़ासकर एक 13-14 साल की लड़की के लिए।
बेला बोस की ख़ूबी ही उनकी कमी बन गई थी
आज के दौर में हेरोइन की ख़ूबियों में जिस एक चीज़ को ख़ासतौर पर शामिल किया जाता है वही उस दौर में बेला बोस की कमी बन गई थी। उनकी लम्बाई, जिसकी वजह से उन्हें बार-बार बेइज़्ज़त होना पड़ा लेकिन उसी लम्बाई की वजह से उन्हें पहली बार सोलो डांस करने का मौक़ा मिला। उनकी लम्बाई के कारण सब उन्हें लम्बू कहकर बुलाते। शुरुआत में होता ये था कि उन्हें बतौर ग्रुप डांसर चुना तो जाता लेकिन कभी डायरेक्टर ताड़ कहकर बाहर निकल देते कभी डाँट खानी पड़ती।
“मुग़ल-ए-आज़म” के गाने “मोहे पनघट पे” में जब सभी डांसर्स को झुकना होता है तो बेला बोस अलग से नज़र आती हैं इस बात पर सितारा देवी ने उन्हें बहुत ज़्यादा डांटा वो भी उस ग़लती के लिए जो उनकी थी ही नहीं। ऐसे ही एक बार फ़िल्म “मैं नशे में हूँ” के गाने की शूटिंग हो रही थी तभी निर्देशक नरेश सहगल ने इशारे से उन्हें ग्रुप से बाहर आने को कहा। उन्होंने छुपने की नाकाम कोशिश की मगर वो सबसे लम्बी थीं कहाँ छुपतीं। उन्हें समझ आ गया कि इस बार फिर उनकी छुट्टी हो गई।
लेकिन जब नरेश सहगल ने उनसे पूछा कि “सोलो डांस करोगी” तो उनकी ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा। इस तरह फ़िल्म “मैं नशे में हूँ” में उन्होंने एक नहीं बल्कि दो सोलो डांस किये। उनके दोनों आइटम्स बहुत पसंद किए गए और उन्हें दूसरी कई फ़िल्मों के ऑफर आने लगे। उस समय वो दसवीं में पढ़ती थीं और कपड़ों पर डिजाइनिंग के कोर्स में उन्होंने दाख़िला लिया था, जो चार साल का था। मगर फिर वो इतनी बिजी हो गईं कि उन्हें ढाई साल में ही कोर्स अधूरा छोड़ना पड़ा।
आख़िरकार क़िस्मत का दरवाज़ा खुला
1962 की फ़िल्म सौतेला भाई में उन्हें पहली बार अभिनय करने का मौक़ा मिला। फिर उन्होंने “लुटेरा”, “बंदिनी”,”हम सब उस्ताद हैं”, “अनीता”, “प्यास”, “शिकार”, “देवर”, “चित्रलेखा”, “प्रोफ़ेसर”, “आम्रपाली”, “ओपेरा हाउस”, “भाई हो तो ऐसा”, “चंदा और बिजली”, “जीने की राह” जैसी कई फ़िल्मों में डांसर के साथ-साथ कभी वैम्प और कभी कॉमेडियन का रोल किया। “नागिन और सपेरा” में वो बतौर हीरोइन दिखाई दीं।
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आपको फ़िल्म “जय संतोषी माँ” तो याद होगी अपने समय की सुपरहिट फ़िल्म थी। उस फिल्म के हीरो थे आशीष कुमार जो बांग्ला फ़िल्मों के एक मशहूर अभिनेता थे, बाद में प्रोडूसर-डायरेक्टर और राइटर भी बने। बेला बोस उन्हें इतना पसंद करती थीं कि स्कूल में दोस्तों के पूछने पर अपने बॉयफ्रेंड के तौर पर उनकी फोटो दिखा देती थीं। और जब वो फ़िल्म इंडस्ट्री में आईं तो एक दिन उनकी मुलाक़ात आशीष कुमार से हुई और फिर 1967 में उन्हीं से शादी भी हो गई।
उस वक़्त वो फ़िल्मों में बहुत बिजी थीं तो शादी के बाद उन्होंने सिर्फ़ पुरानी फ़िल्में पूरी कीं और कोई नई फ़िल्म साइन नहीं की। एक बेटे और बेटी की माँ बनने के बाद उन्होंने अपना पूरा ध्यान अपनी घर गृहस्थी में लगाया। बाद में उनके पति ने पार्टनरशिप में “जय संतोषी माता” फ़िल्म बनाई जिसमें बेला बोस ने बुरी ननद का रोल प्ले किया था। उसके बाद दोनों ने “सोलह शुक्रवार”, “गंगासागर”, “राजा हरिश्चंद्र”, “बद्रीनाथ धाम” “नवरात्रि” जैसी फ़िल्में बनाई। अपने पति की मौत के बाद से वो मुंबई में रिटायर ज़िंदगी गुज़ार रही थीं। 20 फ़रवरी 2023 को 79 साल की उम्र में उनका निधन हो गया।
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