अमीरबाई कर्नाटकी अपने समय की मशहूर गायिका-अभिनेत्री जो कन्नड़ कोकिला कहलाईं आज की पोस्ट में उन्हीं के बारे में बात करुँगी। आजकल हम सबसे ज़्यादा क्या चाहते हैं – Name, Fame, Power…. और उससे भी ज़्यादा पैसा। बहुत से लोग कहते हैं कि पैसा हो तो बाक़ी सब मैनेज हो जाता है। शायद वो लोग सही हों लेकिन मैंने बहुत से बड़े-बड़े नामी लोगों के बारे में पढ़ा है जिनकी ज़िंदगी में पैसे की, शोहरत की, कोई कमी नहीं थी लेकिन तब भी उन्हें दर्द भरी ज़िन्दगी जीनी पड़ी। मधुबाला और मीना कुमारी सुपरस्टार्स थीं, लेकिन हम सब जानते हैं कि उन्होंने कितने दुःख झेले। ऐसी ही दर्द भरी ज़िंदगी गुज़ारी अमीरबाई कर्नाटकी ने।
अमीरबाई कर्नाटकी ने क़रीब 150 फ़िल्मों में 380 गाने गाए उन की कन्नड़ और गुजराती पर बहुत गहरी पकड़ थी। उनका गाया भजन “वैष्णव जन तो तेने कहिये जे पीर पराई जाने रे” ये गांधी जी को बहुत प्रिय था। बहुत से यादगार गीत गाने वाली अमीरबाई कर्नाटकी का जन्म 1912 में कर्नाटक के बीजापुर में हुआ। उनकी माँ अमीना बी और पिता हुसैन साब थिएटर कंपनी में काम करते थे, उसी संगीत और नाटक के माहौल में अमीरबाई की परवरिश हुई। उनके कई अंकल आंटी थिएटर में बतौर एक्टर-म्यूजिक डायरेक्टर अपनी साख बना चुके थे। अमीरबाई कर्नाटकी छोटी ही थीं जब उन के पिता की मौत हो गई इसीलिए उनकी और उनके परिवार की देख-रेख उनके एक अंकल ने की।
जब बीजापुर को मुंबई प्रेसीडेंसी में शामिल किया गया तब से वहां म्यूजिक और थिएटर फलने-फूलने लगा। बहुत सी थिएटर कंपनियों को वहाँ आगे बढ़ने के अवसर नज़र आये जिससे बीजापुर एक तरह से थिएटर हब बन गया। अमीरबाई और उनकी बड़ी बहन गौहरबाई बहुत अच्छा जाती थीं। उनकी गायन क्षमता से कई थिएटर कम्पनियाँ प्रभावित हुई और उन्हें बतौर गायिका-अभिनेत्री काम मिलने लगा। फिर अमीरबाई फ़िल्मों में भाग्य आज़माने के लिए मुंबई चली आईं। उनका नाम तो अमीरबाई था लेकिन चलन के मुताबिक़ उन्होंने अपने नाम के साथ अपने जन्मस्थान का नाम जोड़ा और कहलाईं अमीरबाई कर्नाटकी।
अमीरबाई को 1934 की फ़िल्म “विष्णु-भक्ति में काम करने का मौक़ा मिला। कई फ़िल्मों में गाने भी गाए। लेकिन शुरुआत में उन्हें बहुत ज़्यादा कामयाबी नहीं मिली। फिर 1943 में आई फ़िल्म “क़िस्मत” जिसमें उनके गाए गानों ने धूम मचा दी। अनिल बिस्वास के म्यूज़िक डायरेक्शन में अमीरबाई की आवाज़ खुलकर सामने आई।
1943 – किस्मत / संगीत – अनिल बिस्वास / गीतकार – कवि प्रदीप / बॉम्बे टॉकीज
- आज हिमालय की चोटी से फिर हमने ललकारा है – अमीरबाई, ख़ान मस्ताना
- धीरे-धीरे आ रे बादल धीरे – अमीरबाई, अशोक कुमार
- अब तेरे सिवा कौन मेरा कृष्ण कन्हैया – अमीरबाई
- घर-घर में दिवाली है मेरे घर में अँधेरा – अमीरबाई
- गोरे-गोरे ओ बाँके छोरे – समाधि (1950) – अमीरबाई, लता मंगेशकर
- ओ जानेवाले बालमवा लौट के आ – रतन (44) – अमीरबाई, श्याम कुमार
- मिलके बिछड़ गईं अँखियाँ – रतन (44) – अमीरबाई
- मार कटारी मर जाना – शहनाई (47) – अमीरबाई
- अजी आओ मोहब्बत की खा लें क़सम – शहनाई (47) – अमीरबाई
- हुआ क्या कुसूर जो हमसे हो दूर – बसंत(1942) – अमीरबाई
अमीरबाई कर्नाटकी ने बीजापुर में अमीर टॉकीज़ के नाम से एक थिएटर भी बनवाया। वो उत्तरी कर्नाटक में थिएटर टूर्स किया करती थीं।
अमीरबाई कर्नाटकी वो गायिका जिन्होंने लोगों के दिलों में तो जगह बनाई मगर अपने ही घर में हिंसा का शिकार हुई
30s में जिन गायिकाओं का नाम स्टार सिंगर्स में शामिल होता था उनमें ज़ोहराबाई अम्बालेवाली, राजकुमारी, नूरजहॉँ, ख़ुर्शीद बानो के साथ-साथ अमीरबाई कर्नाटकी का नाम भी प्रमुख रूप से शामिल है। अमीरबाई कर्नाटकी ने 150 फ़िल्मों में क़रीब 380 गाने गाए, वो अपने समय की बहुत ही बहुत ही ख्याति प्राप्त गायिका-अभिनेत्री थीं। बाबूराव पटेल ने “फ़िल्म इंडिया” में लिखा था कि जिस समय किसी गायिका को एक गाने के 500 रूपए मिलते थे उस समय अमीरबाई एक गाने के 1000 रूपए लिया करती थीं। लेकिन इतनी दौलत शोहरत पाने वाली अमीरबाई की निजी ज़िंदगी ख़ुशगवार नहीं रही।
अमीरबाई कर्नाटकी की पहली शादी पारसी एक्टर हिमालयवाला से हुई थी। हिमालयवाला उस समय के मशहूर विलेन थे प्रोफेशनली भी और अमीरबाई के लिए निजी तौर पर भी, क्योंकि वो उन्हें बुरी तरह मारा-पीटा करते थे। physically-emotionally टार्चर किया करते थे। सालों तक उनका ज़ुल्म सहने के बाद अमीरबाई ने उनसे तलाक़ ले लिया लेकिन बरसों लग गए उन्हें इस दर्द से उबरने में। एक अच्छी बात रही कि उनकी ज़िंदगी में बद्री कांचवाला के रूप में प्यार फिर आया और तब जाकर उन्हें थोड़ी खुशियां मिलीं। 55 साल की उम्र में वो लकवाग्रस्त हो गई थीं और कुछ ही दिन बाद 3 मार्च 1965 में अमीरबाई कर्नाटकी इस दुनिया से चुपचाप चली गईं।
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In today’s post will talk about Amirbai Karnataki the famous singer-actress of her time, who was called Kannada Kokila. These days what we want the most – Name, Fame, Power…. and even more money. Many people say that if you have money, everything else is managed. Maybe those people are right, but I have read about many famous people who had no shortage of money, fame, but still they had to live a painful life. Madhubala and Meena Kumari were superstars, but we all know how much grief they went through. Amirbai Karnataki lived such a painful life.
Amirbai Karnataki sang 380 songs in about 150 films and had a strong hold on Kannada and Gujarati. His hymn “Vaishnav Jan To Tene Kahiye Je Peer Parai Jaane Re” was very dear to Gandhiji. Amirbai Karnataki, who sang many memorable songs, was born in 1912 in Bijapur, Karnataka. Her mother Amina Bi and father Hussain Saab worked in the theater company, where Amirbai was raised in the same musical and drama environment. Many of his uncles had made their reputation as an actor-music director in theatre. Amirbai was young when her father died, so she and her family were looked after by one of her uncle.
When Bijapur was included in the Mumbai Presidency, music and theater flourished there. Many theater companies saw opportunities to grow there so that Bijapur became a theater hub in a way. Amirbai and her elder sister Gauharbai were well known. Many theater companies were impressed by her singing ability and they started getting work as singer-actress. Then Amirbai moved to Mumbai to try her luck in films. Her name was Amirbai, but according to the practice, he added the name of her birthplace to her name and was called Amirbai Karnatakai.
Amirbai got an opportunity to work in the 1934 film “Vishnu-Bhakti. She also sang songs in many films. But in the beginning she did not get much success. Then the 1943 film “Kismat” in which her songs made a splash. Amirbai’s voice came out in the open in Anil Biswas’s music direction.
Her first marriage was to Parsi actor Himalayawala. Himalayawala was the famous villain of that time both professionally and personally for Amirbai as he used to beat her badly. Used to torture physically-emotionally. After suffering for years, Amirbai divorced him, but it took her years to overcome this pain. One good thing was that love came again in her life in the form of Badri Kanchwala and then she got some happiness. At the age of 55, she was paralyzed and a few days later on 3 March 1965, Amirbai Karnataki quietly left this world.
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