लता मंगेशकर दुनिया भर में वो अपनी मीठी सुरीली आवाज़ की वजह से जानी जाती रहीं। बल्कि कहना चाहिए लोग अचरज में रहे कि आख़िर उनकी सुरीली आवाज़ का राज़ क्या है ? The voice of India, स्वर कोकिला, legendry लता मंगेशकर अपने वक़्त में कई वजहों से वो चर्चा में आईं जिनके बारे में बहुत ज़्यादा लोग नहीं जानते हैं।
1 – लता मंगेशकर की शुरुआत अभिनय से हुई थी
पं दीनानाथ मंगेशकर के पाँच बच्चों में सबसे बड़ी लता मंगेशकर सिर्फ़ अपने गायन के लिए जानी जाती हैं लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि उन्होंने अपने पिता के नाटकों और कुछ मराठी फ़िल्मों में बतौर बाल कलाकार अभिनय भी किया। मनमाड में एक नाटक होने वाला था लेकिन नारद का रोल करने वाले कालकार बीमार हो गए तब सात साल की लता ने अपने बाबा से कहा कि उन्हें नारद के सारे संवाद याद हैं मैं बन जाती हूँ नारद।
हाँलाकि उम्र बहुत छोटी थी मगर उस समय कोई चारा नहीं था। और इस तरह पहली बार लता मंगेशकर ने रंगमंच पर अभिनय किया। बाद में उनके पिता ने उनके लिए अलग से एक नाटक लिखा – “गुरुकुल” जिसमें उन्होंने कृष्ण की भूमिका की और उनकी बहन मीना ने सुदामा की।
2- मंगेशकर असल में कोई सरनेम है ही नहीं
लता जी का असली नाम था हेमा कुछ सोर्सेज के मुताबिक़ उनके पिता ने उनका नाम हृदया रखा था। कहते हैं कि 1919 में अपने पिता प दीनानाथ मंगेशकर के नाटक “भाव-बंधन” में उन्होंने लतिका नाम की लड़की की भूमिका निभाई थी उसी के बाद उनका नाम बदल कर लता किया गया।
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मंगेशकर असल में कोई सरनेम नहीं है दरअस्ल लता जी के दादा का नाम था गणेश भट्ट हर्दीकर या अभिषेकी। वो गोवा के मंगेशी में मंगेश मंदिर के पुजारी थे। लेकिन लता जी के पिता अपने लिए कोई ऐसा सरनेम चाहते थे जो किसी और का न हो। भगवन मंगेश को वो बहुत मानते थे तो उन्होंने उन्हीं का नाम अपना लिया और दीनानाथ मंगेशकर कहलाए। इसीलिए उनका परिवार भी अपने नाम के साथ मंगेशकर लगाता है।
3 – पहला गाना 9 साल की उम्र में स्टेज पर गाया
लता मंगेशकर सिर्फ़ एक दिन स्कूल गई थीं लेकिन जब उनके स्कूल टीचर ने उन्हें डांटा तो उसके बाद वो कभी स्कूल नहीं गईं। उन्होंने अपना पहला गाना 9 साल की उम्र में स्टेज पर गाया था। उनका मन संगीत में रमता था लेकिन पिता की मौत के बाद जब परिवार की देखभाल की ज़िम्मेदारी उन के नाज़ुक कन्धों पर पड़ी तो उन्हें अभिनय करना पड़ा। पहली मराठी फिल्म जिस में उन्होंने अभिनय किया वो थी – “पाहिली मंगड़ागउर” और इस तरह फ़िल्मों में अभिनय की शुरुआत हुई।
फिर जब उनके पिता के दोस्त मास्टर विनायक ने कोल्हापुर जाकर अपनी फ़िल्म कंपनी खोली “प्रफुल्ल पिक्चर्स” तो लता जी को वहाँ स्थाई रुप से काम मिल गया। “माझे बाल” फ़िल्म में उन्होंने अपनी बहनों मीना, उषा और आशा के साथ काम किया था। मास्टर विनायक की मौत के बाद वो मुंबई आई और हिंदी फ़िल्मों में प्लेबैक का सिलसिला शुरु हुआ।
4 – लता मंगेशकर का पहला हिट गाना
लता मंगेशकर का पहला हिट गाना था “महल” फ़िल्म का “आएगा आने वाला” इस गाने की शुरुआत में एक शेर है। निर्देशक कमल अमरोही चाहते थे कि ऐसा लगना चाहिए कि आवाज़ दूर से पास आ रही है। उस समय टेक्नीक बहुत एडवांस नहीं थी तो लता जी को माइक से क़रीब दो -ढाई फ़ीट दूर खड़ा किया गया। वहां से वो शेर पढ़ती हुई आतीं और फिर “आएगा आने वाला” माइक पर गाया जाता।
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गाते हुए चलना वैसे ही एक मुश्किल काम है, उस पर इस गाने के क़रीब 20-22 टेक हुए। लेकिन खेमचंद प्रकाश के संगीत से सजा ये गाना जब तैयार हुआ तो आइकोनिक बन गया। उस समय रिकॉर्ड पर गायक-गायिका का नाम नहीं होता था। लेकिन ये गाना इतना मशहूर हुआ कि लोग जानना चाहते थे कि आखिर इस गाने में आवाज़ है किसकी ? तब मजबूरन रिकॉर्डिंग कंपनी को नया रिकॉर्ड निकलना पड़ा लता जी के नाम के साथ।
5 – लता मंगेशकर की वजह से फ़िल्मफ़ेयर अवार्ड्स में प्लेबैक सिंगर की श्रेणी शामिल की गई
लता मंगेशकर जिस समय फ़िल्मों में आयी थीं, उस समय गायक-गायिकाओं को वो सम्मान नहीं मिलता था. फ़िल्मफ़ेयर अवार्ड्स की लिस्ट में प्लेबैक सिंगर की कैटेगरी ही नहीं थी। जब उन्होंने अवार्ड फंक्शन में गाने से मना किया उसके बाद से बेस्ट प्लेबैक सिंगर कैटगरी फ़िल्मफ़ेयर अवॉर्ड्स में शामिल की गई। और लता जी वो पहली सिंगर बनी जिन्हें पहला फ़िल्मफ़ेयर अवार्ड दिया गया फ़िल्म मधुमती के गाने – आजा रे परदेसी के लिए ।
6 – लता मंगेशकर रॉयल्टी की मांग करने वाली पहली गायिका थीं
वो पहली ऐसी गायिका रहीं जिन्होंने निर्माताओं से रॉयल्टी की मांग की, अपने हक़ की इस लड़ाई में उनकी कई लोगों से अन- बन हुई जिसमें राज कपूर जैसे फिल्मकार भी रहे। राजकपूर ने उनसे यहाँ तक कहा कि मैडम मैं यहाँ कोई चैरिटी करने नहीं बैठा हूँ, पर जब लताजी ने उनकी फिल्म के लिए गाना नहीं गाया तो आखिरकार राजकपूर को उनकी बात माननी ही पड़ी।
रॉयल्टी को लेकर कुछ मतभेद रफ़ी साहब से भी हुए , जिसके कारण दोनों ने कुछ समय एक दूसरे के साथ नहीं गाया, हांलाकि बाद में ग़लतफ़हमी दूर हो गयी थी। रफ़ी साहब का मानना था कि सिंगर को अपने काम का मेहनताना मिल गया तो रॉयल्टी की कोई ज़रूरत नहीं है लेकिन लताजी का कहना था कि सिंगर के गाए गाने से रिकॉर्ड कम्पनियाँ सालों साल पैसा कमेटी हैं तो सिंगर को भी उसका हक़ मिलना चाहिए।
7- ओ पी नैयर और लता मंगेशकर ने कभी साथ में काम नहीं किया।
किसी भी संगीतकार के लिए ये सौभाग्य की बात होती थी कि लता मंगेशकर उसके लिए गाना गाएँ। एक वक़्त था जब लताजी की आवाज़ के बग़ैर संगीतकार ऊँचाइयाँ नहीं छू पाता था लेकिन O P नैयर अकेले ऐसे संगीतकार थे जिन्होंने कभी लता मंगेशकर की आवाज़ का सहारा नहीं लिया। इसकी वजह दो बड़े फ़नकारों का ईगो कह लें, हालात या ग़लतफ़हमी। क्योंकि ये सारा क़िस्सा शुरु हुआ फ़िल्म आसमान से जो OP नैयर की पहली फ़िल्म थी। इसमें एक गाना लता मंगेशकर को गाना था पर लता जी व्यस्तता की वजह से दो-तीन दिन लगातार रिहर्सल के लिए नहीं आ आईं।
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बात फ़िल्म के निर्देशक दलसुख पंचोली तक पहुँची और फिर इस हद तक बिगड़ गई कि हमेशा के लिए दिल में दरार छोड़ गई। इसके बाद जब आर-पार फ़िल्म रिलीज़ हुई तो O P नैयर रातोंरात मशहूर हो गए और कुछ निर्माताओं ने गाने रिकॉर्ड होने के बाद भी अपने संगीतकार को हटा कर O P नैयर को साइन कर लिया। इस बात को लता मंगेशकर म्यूज़िक डायरेक्टर्स एसोसिएशन तक ले गईं, नतीजा ये हुआ कि कोई भी सिंगर O P नैयर के साथ गाना गाने के लिए तैय्यार नहीं हुआ, इससे O P नैयर को बहुत मुश्किल हुई। इस वाक़ए ने ताबूत में आख़िरी कील भी गाड़ दी और फिर इन दोनों ने कभी एक दूसरे के साथ काम नहीं किया।
8 – लता मंगेशकर ने शादी क्यों नहीं की
अकसर ये माना जाता है कि लता मंगेशकर ने अपने परिवार की ज़िम्मेदारियों के चलते शादी नहीं की मगर सिर्फ़ एक ये वजह नहीं है। संगीतकार सी. रामचंद्र जिनके लिए लता मंगेशकर ने ढेरों कामयाब गीत गाये। कुछ फ़िल्मी लेखकों के मुताबिक सी. रामचंद्र की धुनें सिर्फ़ और सिर्फ़ लता मंगेशकर को ध्यान में रखकर बनाई जाती थीं, और दोनों ही एक दूसरे से आकर्षित थे।
दोनों में कारोबारी रिश्ते के अलावा भी नज़दीकियाँ थीं, लता मंगेशकर के लिखे ख़तों का भी ज़िक्र मिलता है। मगर सी रामचंद्र पहले से शादीशुदा थे इसलिए ये रिश्ता आगे नहीं बढ़ सका। ये भी कहा जाता है कि बाद के दौर में उनकी नज़दीक़ीयाँ स्वर्गीय राजसिंह डूंगरपुर से रहीं लेकिन वो शाही ख़ून थे और उनके माता-पिता इस रिश्ते के ख़िलाफ़ थे इसीलिए दोनों आजीवन अविवाहित रहे।
9 – लता मंगेशकर ने अपनी ही बहन से वो मौक़ा छीना जो किसी भी सिंगर को एक ही बार मिलता है
एक विवाद उनके नाम के साथ और जुड़ा रहा कि उन्होंने अपनी ही बहन से उस मौक़े को छीना, जो किसी सिंगर को ज़िंदगी में एक ही बार मिलता है। ये विवाद रहा उस अमर गीत के लिए जिसे सुनकर जवाहरलाल नेहरु भी रो पड़े थे “ऐ मेरे वतन के लोगो। सी. रामचंद्र जब इस गीत को तैयार कर रहे थे, तो उस गीत को आशा भोसले गाने वाली थीं, उन्होंने आशा जी से रिहर्सल कराना भी शुरु कर दिया था।
लेकिन जब लता मंगेशकर को पता चला तो उन्होंने गीतकार कवि प्रदीप के ज़रिए इस गाने को गाने की इच्छा जताई और फिर ये तय हुआ कि इसे दोनों बहनें साथ गाएंगी। फिर जाने क्या हुआ कि वो गाना लता मंगेशकर से गवाया गया। वो अमर गीत बनते-बनते कई विवाद छोड़ गया।
10 – लता मंगेशकर के शौक़ के बारे में जानते हैं आप
लता मंगेशकर को फिल्मों के अलावा क्रिकेट में बहुत इंटरेस्ट था। साड़ियों और हीरे के गहनों में भी रुचि थी साथ ही खाना बनाना और खिलाना भी बहुत पसंद था। फोटोग्राफ़ी का इतना शौक़ था कि एक समय में उनके पास कैमरा के लेटेस्ट मॉडल हुआ करते थे। वो सहगल साब और नूरजहाँ की बहुत बड़ी प्रशंसक थीं। जब वो छह साल की थीं तो उन्होंने के एल सहगल की फ़िल्म “चंडीदास” देखी थी, तब से कहती थीं की बड़ी होकर वो के एल सहगल से ही शादी करेंगी। लेकिन वो उनसे मिल भी नहीं पाईं। लता जी को वेस्टर्न पॉप म्यूजिक भी बहुत पसंद था। ख़ासतौर पर ब्रायन एडम्स और बीटल्स के गाने वो बहुत शौक़ से सुनती थीं।