कल्याणजी आनंदजी फिल्म इंडस्ट्री की टॉप मोस्ट संगीतकार जोड़ियों में से एक, जिन्होंने अपनी बनाई धुनों पर जहाँ युवाओं को नचाया वहीं ऐसे-ऐसे यादगार गाने दिए जिन्हें हम आज भी गुनगुनाते हैं।
फ़िल्मों में कलाकारों की जोड़ियाँ बनती हैं, बदलती हैं, बिगड़ती हैं। लेकिन संगीतकारों की जोड़ियाँ बहुत कामयाब रही हैं, उन्होंने ताउम्र एक दूसरे के साथ काम किया है। ऐसी ही एक कामयाब संगीतकार जोड़ी थी कल्याणजी वीरजी शाह और आनंदजी वीरजी शाह की जिन्हें हम कल्याणजी आनंदजी के नाम से जानते हैं। कल्याणजी के जन्मदिन के बहाने इन दोनों की ज़िंदगी पर एक नज़र।
कल्याणजी आनंदजी का शुरुआती जीवन
गुजरात के कच्छ में जन्मे कल्याणजी आनंदजी असल ज़िंदगी में दो भाई थे। कल्याणजी का जन्म हुआ 30 जून 1928 को और आनंद जी जन्मे 2 मार्च 1933 को। उनके पिता वीरजी शाह परिवार सहित बाद में मुंबई आकर बस गए जहाँ वो एक किराने की दुकान चलाते थे। कल्याणजी आनंदजी भाइयों को बचपन से ही संगीत का शौक़ था, जो धीरे-धीरे परवान चढ़ा, और फिर एक वक़्त ऐसा आया जब दोनों ने हिंदी फ़िल्म इंडस्ट्री में धूम मचा दी।
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कल्याणजी कई तरह के वाद्य यंत्र बजाने में माहिर थे। उन्होंने अपने भाई आनंदजी के साथ मिलकर अपना एक ऑर्केस्ट्रा ग्रुप बनाया, जिसका नाम था- “कल्याणजी वीरजी शाह एंड पार्टी” ये ग्रुप मुंबई और उसके बाहर म्यूज़िकल कॉन्सर्ट आयोजित करता था। फिर कल्याणजी ने फ़िल्म नगरी का रुख़ किया। शुरुआत दौर में उन्हें लगभग दो साल तक संघर्ष करना पड़ा। इस दौरान उन्होंने कुछ बी और सी ग्रेड की फिल्में भी कीं।
जब हेमंत कुमार से मुलाक़ात हुई तो वो उनके सहायक बन गए। उस समय कल्याणजी इलेक्ट्रॉनिक इंस्ट्रूमेंट बजाया करते थे। ये वही साज़ था जिससे उन्होंने फ़िल्म “नागिन” की वो मशहूर बीन बनाई थी, जो लगभग पूरी फ़िल्म में सुनाई देती है। कुछ वक़्त तक कल्याणजी शंकर जयकिशन के भी सहायक रहे। इसी दौरान उन्हें स्वतंत्र संगीतकार के रुप में पहली फ़िल्म मिली “सम्राट चन्द्रगुप्त”, इस फ़िल्म के संगीत को काफ़ी पसंद किया गया। लेकिन इस फिल्म में उन्होंने अकेले कल्याणजी वीरजी शाह के नाम से संगीत दिया था। इसके बाद भी कल्याणजी ने कुछेक फ़िल्में अकेले कीं, बाद में आनंदजी उनके साथ जुड़ गए।
कल्याणजी आनंदजी फ़िल्मों में कामयाबी का दौर
“सट्टा बाज़ार”, “मदारी” और मनमोहन देसाई की “छलिया” कल्याणजी आनंदजी जोड़ी की कुछ शुरुआती हिट फिल्में रहीं। कुछ और फ़िल्में आईं जिनका संगीत भी बहुत पसंद किया गया, पर एक धमाकेदार फ़िल्म आनी बाक़ी थी। और ये धमाका तब हुआ जब आई – “हिमालय की गोद में” लेकिन 1965 में आई “जब जब फूल खिले” ने तो लोकप्रियता के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। इस फ़िल्म के गाने आज भी उतने ही मशहूर हैं जितने तब थे।
- परदेसियों से न अँखियाँ मिलाना
- ये समां समां है ये प्यार का
- न न करते प्यार तुम्हीं से कर बैठे
- एक था गुल और एक थी बुलबुल
इस फ़िल्म का एक-एक गाना लाजवाब था, और सैड नंबर – 6 -यहाँ मैं अजनबी हूँ….. इन गानों को कौन भुला सकता है ?
कल्याणजी आनंदजी का संगीत ऐसी मधुरता लिए होता था कि आम इंसान उससे ख़ुद को बहुत आसानी से जोड़ लेता था। गली मोहल्ले की जानी-पहचानी बीट्स जब गीतों में ढलकर लोगों तक पहुँचती तो लोग ख़ुद को गुनगुनाने से रोक नहीं पाते थे। विविधता उनके संगीत की ख़ासियत रही, जिसमें लोक संगीत की मिठास है तो त्योहारों की उमंग भी, मिटटी की ख़ुशबू है तो क़दमों को थिरकाने वाला आधुनिक संगीत भी। लम्बे समय तक उनकी लोकप्रियता की वजह यही रही कि वो हमेशा वक़्त के साथ-साथ चले, ज़रुरत और माहौल के मुताबिक़ संगीत में फेर-बदल करते रहे।
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कल्याणजी आनंदजी और गायक मुकेश का एक अलग ही रिश्ता रहा है। और एक बात ग़ौर करने लायक़ है कि कल्याणजी आनंदजी ने शुरुआत से ही जहाँ जिस फ़िल्म में गुंजाइश रही वहां एक दर्द भरा गीत ज़रुर बनाया और मुकेश जी से गवाया।
- मुझको इस रात की तन्हाई में आवाज़ न दो – दिल भी तेरा हम भी तेरे
- मैं तो एक खवाब हूँ इस ख्वाब से तू प्यार न कर – हिमालय की गोद में
- दीवानों से ये मत पूछो दीवानों पे क्या गुज़री है – उपकार
- खुश रहो हर ख़ुशी है तुम्हारे लिए – सुहागरात
- हमने अपना सब कुछ खोया प्यार तेरा पाने को – सरस्वतीचँद्र
- कोई जब तुम्हारा ह्रदय तोड़ दे – पूरब और पश्चिम
इन सभी गीतों को मुकेश के सदाबहार दर्द भरे नग़मों में शामिल किया जाता है। हाँलाकि ये माना जाता है कि मुकेश ने सबसे ज़्यादा गाने शंकर-जयकिशन के साथ गाए, पर उनके साथ उन्होंने जो गाने गाए वो ज़्यादातर राजकपूर के लिए थे। लेकिन कल्याणजी आनंदजी ने उनकी आवाज़ का इस्तेमाल अलग-अलग अभिनेताओं के लिए किया। चाहें वो धर्मेंद्र हो राजेश खन्ना, फ़िरोज़ ख़ान, मनोज कुमार या कोई नया उभरता सितारा।
कल्याणजी आनंदजी ने मनहर उधास, कुमार सानू, अलका याग्निक, साधना सरगम, सपना मुखर्जी, उदित नारायण, कृष्णा काले और कंचन जैसे कितने ही नए गायक गायिकाओं की कला को निखारा और उन्हें गाने के अवसर दिए। साथ ही उन्होंने कुछ ऐसी आवाज़ों को भी मौक़े दिए जिन्हें लोग भुला चुके थे, जैसे शमशाद बेगम, मुबारक बेगम, सुमन कल्याणपुर। कुल मिलाकर कहें तो वो बीते हुए कल, आज और आने वाले कल को एक साथ लेकर चले।
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अपने लाजवाब म्यूजिक की वजह से कल्याणजी आनंदजी मनमोहन देसाई, मनोज कुमार, फ़िरोज़ ख़ान और प्रकाश मेहरा जैसे निर्माता-निर्देशकों के पसंदीदा संगीतकार रहे। इंदीवर, गुलशन बावरा, क़मर जलालाबादी, आनंद बख्शी और अंजान ने मुख्य रुप से उनके लिए गीत लिखे।
70 का दशक कल्याणजी आनंदजी के संगीत का एक नया ही दौर रहा। इस दशक में उनकी बहुत सी फिल्में आईं, उनके गाने बेहद मशहूर हुए, खासकर वो संगीत व्यवसायिक रुप से बेहद कामयाब रहा जो उन्होंने अमिताभ बच्चन की फिल्मों के लिए बनाया। ज़ंजीर, डॉन, मुक़द्दर का सिकंदर….. और फिर 1980 में आई क़ुर्बानी, इस फ़िल्म के संगीत को अपार लोकप्रियता मिली।
ये उनका सफलतम दौर कहा जा सकता है, जब जांबाज़, पिघलता आसमान और कलाकार जैसी फिल्में आईं। इनमें उनका उस वक़्त का सर्वश्रेष्ठ संगीत मिलता है। फिर धीरे धीरे उनके संगीत में से प्रयोगात्मकता ख़त्म होने लगी। शायद इसकी वजह काम की अधिकता हो या व्यस्तता। पर इतना ज़रूर है कि उनका संगीत कभी OUTDATED नहीं हुआ। 1992 की यलगार उनकी आख़िरी यादगार फ़िल्म है।
उनके म्यूज़िक के DJ मिक्स तीन रेकॉर्ड्स भी रिलीज़ हुए
1- Bombay the Hard Way : Guns, Cars, and Sitars
2- Bollywood Funk
3- The Beginners Guide To Bollywood
ये DJ रीमिक्स रिकॉर्ड वेस्टर्न ऑडियंस में काफी लोकप्रिय हुए।
1965 में कल्याणजी आनंदजी को फ़िल्म “हिमालय की गोद में” के लिए सिने म्यूजिक डायरेक्टर्स अवॉर्ड दिया गया। 1968 में “सरस्वतीचंद्र” के लिए सर्वश्रेष्ठ संगीतकार का राष्ट्रीय पुरस्कार मिला। 1974 में फ़िल्म “कोरा काग़ज़” के लिए फिल्मफेयर अवार्ड मिला। इसके बाद 2003, 2004 और 2015 में अलग अलग पुरस्कार समारोहों में लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से नवाज़ा गया और 2006 में मिला BMI AWARD।
24 अगस्त साल 2000 में कल्याणजी इस दुनिया से रुख़्सत हो गए, उनके जाने के बाद आनंद जी अकेले रह गए। इन दिनों वो फ़िल्मी दुनिया में वो बहुत ज़्यादा सक्रिय नहीं हैं लेकिन अक्सर टीवी पर म्यूज़िकल शोज में दिखाई दे जाते हैं। और प्रशंसकों का वो प्यार जिसके कारण उनका संगीत हर दौर में ताज़ा बना रहा वही प्यार उन्हें आज भी मिलता है।
कल्याणजी आनंदजी के संगीत से सजी कुछ मशहूर फिल्में और गीत
- चाहें पास हो चाहें – सम्राट चन्द्रगुप्त (1958) – रफ़ी लता – KA – भरत व्यास
- चाँद सी महबूबा हो मेरी – हिमालय की गोद में (1965) – मुकेश – KA – आनंद बख्शी
- परदेसियों से न अँखियाँ – जब जब फूल खिले (1965) – रफ़ी – KA – आनंद बख्शी
- मेरे देश की धरती सोना उगले – उपकार (1967) – महेंद्र कपूर – KA – गुलशन बावरा
- फूल तुम्हें भेजा है – सरस्वतीचंद्र (1968) – लता मुकेश – KA – इंदीवर
- नींद उड़ जाए तेरी – जुआरी (1968) – सुमन, मुबारक़ बेगम, कृष्णा बोस – KA – आनंद बख्शी
- ये दुनियावाले पूछेंगे मुलाक़ात हुई – महल (1969) – किशोर कुमार, आशा – KA
- दुल्हन चली हो पहन चली – पूरब और पश्चिम(1970) – मुकेश – KA – इंदीवर
- जीवन से भरी तेरी आंखें – सफ़र (1970) – किशोर कुमार – KA – इंदीवर
- मेरी प्यारी बहनिया बनेगी दुल्हनिया – सच्चा-झूठा (1970) -किशोर कुमार -KA
- ओ बाबुल प्यारे – जॉनी मेरा नाम (1970) – लता – KA – इंदीवर
- दर्पण को देखा तूने जब जब किया सिंगार – उपासना (1971) – मुकेश – KA
- तुम मिले प्यार से – अपराध (1972) – किशोर कुमार, आशा भोसले – KA
- थोड़ा सा ठहरो – विक्टोरिया नं 203 (1972) – लता – KA – वर्मा मलिक
- यारी है ईमान मेरा यार मेरी ज़िंदगी – ज़ंजीर (1973) – मन्ना डे – KA – गुलशन बावरा
- पल पल दिल के पास – ब्लैकमेल (1973) – किशोर कुमार – KA – राजेंद्र कृष्ण
- मेरा जीवन कोरा काग़ज़ – कोरा काग़ज़ (1974) – किशोर कुमार – KA – MG हशमत
- क्या खूब लगती हो – धर्मात्मा (1975) – मुकेश, कंचन – KA – इंदीवर
- तुमको मेरे दिल ने पुकारा है – रफ़ुचक्कर (1975) – शैलेन्द्र सिंह, कंचन – KA – गुलशन बावरा
- जा रे जा ओ हरजाई – कालीचरण (1976) – लता – KA – इंद्रजीत सिंह तुलसी
- खून पसीने की जो मिलेगी तो खाएँगे – खून पसीना (1977) – किशोर कुमार – KA
- ओ साथी रे – मुक़द्दर का सिकंदर (1978) – किशोर कुमार – KA – अनजान
- ये मेरा दिल प्यार का – डॉन (1978) – आशा – KA – इंदीवर
- लैला ओ लैला – क़ुर्बानी (1980) – अमित कुमार, कंचन – KA – इंदीवर
- हम तुम्हें चाहते – क़ुर्बानी (1980) – मनहर, कंचन, आनंद – KA – इंदीवर
- मेरे अँगने में तुम्हारा क्या काम है – लावारिस (1981) – अमिताभ बच्चन / अलका याग्निक – KA
- हाथों की चंद लकीरों का – विधाता (1982) – अनवर, सुरेश वाडेकर – KA –
- नीले नीले अम्बर पे चाँद जब – कलाकार (1983) – किशोर कुमार – KA – इंदीवर
- आ गए रंग ज़माने वाले – राजतिलक (1984) – किशोर कुमार, अलका याग्निक, साधना सरगम, अनुराधा पौडवाल -KA
- तेरी मेरी प्रेम कहानी – पिघलता आसमान (1985) – किशोर कुमार,अलका याग्निक
- जब जब तेरी सूरत देखूं – जाँबाज़ (1986) – मनहर – KA – इंदीवर
- दाता तेरे कई नाम – दाता (1989) – महेंद्र कपूर, साधना सरगम, मनहर उधास – KA
- तिरछी टोपी वाले – त्रिदेव (1989) – अमित कुमार, सपना मुखर्जी – KA
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