दुनिया की सबसे वृद्ध इंसान जो कि एक महिला थीं, उन का 119 साल की उम्र में निधन !
दुनिया की सबसे वृद्ध इंसान की मौत (World’s Oldest Person Kane Tanaka Died). किसी के मरने की ख़बर को दुखद ही माना जाता है। मगर हमारे यहाँ इतनी उम्र में मरने वाले का दुःख नहीं मनाया जाता बल्कि उसे धूम-धाम से विदा किया जाता है। वैसे भी इतनी उम्र तक जीना वो भी “बिना किसी फिजिकल प्रॉब्लम के” एक तरह की अचीवमेंट ही तो है। वर्ना आजकल के दौर में छोटे-छोटे बच्चों को भी गंभीर बीमारियां हो रही हैं। शायद इसीलिए लोग कहते हैं कि भगवान बस चलते हाथ पैर उठा ले।
प्राचीन ग्रंथों में पढ़ा है कि एक समय में ऋषि-मुनि होते थे जो हज़ारों साल जीते थे। शायद उस समय जीवन इतना कठिन नहीं होता होगा! फिजिकल लेबर तो होता था पर मेन्टल प्रेशर शायद उतना नहीं होता होगा। एक रिपोर्ट पढ़ी थी मैंने जिसमें लिखा था कि आज के दौर में 5 साल के बच्चे को उतनी टेंशन होती है, जितनी आज से दस साल पहले 50 साल के व्यक्ति को होती थी। यानी इंसान पर तनाव-दबाव बढ़ता जा रहा है, बच्चे अपना बचपन खो रहे हैं, जवानी कॉर्पोरेट के कम्पटीशन में ज़ाया हो रही है, चाहे साउंड पोलुशन हो या एयर या वाटर,हर तरह का प्रदूषण बढ़ रहा है।
ऐसे में कौन कम्बख़्त है जो इतना लम्बा जीना चाहेगा?
दुनिया की सबसे वृद्ध इंसान की मौत (World’s Oldest Person Kane Tanaka Died). – पुराने ज़माने में दीर्घायु होने का आशीर्वाद दिया जाता था। आजकल तो आशीर्वाद भी बदल गए हैं, आजकल कहा जाता है “ख़ुश रहो” क्योंकि आजकल सब ख़ुशी की तलाश में ही भटक रहे हैं मगर ख़ुशियाँ हैं कि हाथ ही नहीं आती हैं।
हज़ारों मैडिटेशन सेंटर हैं जो आपको अंदर की ख़ुशियों से रु-ब-रु कराने का दावा करते हैं, बहुत से गुरु हैं जो ख़ुद ख़ुश दिखाई देते हैं मगर उनके शिष्य और शिष्याओं को मैंने कभी खुलकर हँसते नहीं देखा। इंटरनेट पर बहुत से मोटिवेशनल स्पीकर्स हैं जो चिल्ला-चिल्ला कर कभी दूसरों का मज़ाक़ बनाकर ख़ुश रहने का रहस्य समझाते नज़र आते हैं, हाँलाकि मुझे शक़ है उनके खुद के ख़ुश होने पर। कोई स्टैंड-अप कॉमेडी से हंसाने की कोशिश करता है, कोई भगवान की शरण में जाने का सन्देश देता है तो कोई योग को अपनाने का जितने लोग उतने ख़ुश रहने के तरीक़े।
ख़ुशियों की तलाश में भटकते लोग हर किसी को आज़माते हैं लेकिन कितने लोग हैं जो सचमुच खुशियाँ तलाश पाते हैं !! 90% लोग वापस वहीं आ जाते हैं जहाँ से चले थे —- बैक टू द पवेलियन।
पिछले कुछ सालों में हम सबने देखा कि बड़ी-बड़ी सेलेब्रिटीज़ ने भी ख़ुद अपनी ज़िंदगी का अंत कर लिया। जब इतने नाम वाले, पैसे वाले लोगों का ये हाल है तो एक आम इंसान के लिए जीना कितना मुश्किल हो गया होगा इसका अंदाज़ा आसानी से लगाया जा सकता है। मुश्किलें तो ज़िंदगी का अटूट हिस्सा हैं उनसे तो बचा ही नहीं जा सकता और देखा जाए तो मुश्किलें हैं तो जीने का मज़ा भी है।
आप नाव चला रहे हों और पानी एक धारा में सीधे-सीधे बहे जा रहा है, नाव चले जा रही है तो आपको नाव चलने में मज़ा आएगा !? मुझे तो नहीं आएगा, जब तक पानी में थोड़ी रफ़्तार न हो, हवा न बहे आपको चप्पू चलाने या पैडल मारने में मेहनत न करनी पड़े तो लगेगा ही नहीं कि आपने कुछ किया है। इसलिए मुश्किलों से घबरा कर जीवन का अंत करना तो कोई समझदारी नहीं है।
मेरा सवाल ये है कि अगर आपको चुनने का हक़ मिले तो आप अपने लिए कितना लम्बा जीना चाहेंगे और क्यों ? इस सवाल का जवाब आप कमेंट करके ज़रुर बताइयेगा। I am very curious about it. ऐसे कई लोग हैं इस दुनिया में हैं जो मरने से डरते हैं, मगर 100 साल से भी ज़्यादा जीना—- सोचिए, अगर आपको 100 साल से ऊपर की ज़िंदगी मिले तो —– !
केन तनाका (World’s Oldest Person Kane Tanaka Died)
जापान की ये महिला केन तनाका (World’s Oldest Person Kane Tanaka Died) की उम्र मौत के वक़्त 119 साल की थी। 19 साल की उम्र में उनकी शादी हो गई थी, ऐसे में परिवार के कितने लोगों को उन्होंने अपने सामने मरते हुए देखा होगा और ख़ुद को एकदम अकेला भी पाया होगा। अपनी ज़िंदगी के आख़िरी साल उन्होंने केयर होम में बिताए थे। हाँलाकि उनके सेहत आख़िरी वक़्त तक बिल्कुल ठीक थी मगर कितने लोग उस उम्र तक पहुँच कर पूरी तरह स्वस्थ रह पाते हैं !
केन तनाका का नाम दुनिया की सबसे उम्रदराज़ महिला (World’s Oldest Person) के तौर पर गिनीज़ बुक में शामिल हुआ था। पर क्या सचमुच इस रिकॉर्ड से उन्हें कोई ख़ुशी हुई होगी ! न्यूज़ पेपर्स में, आर्टिकल्स में तो यही पढ़ने को मिलता है कि उन्होंने अपनी ज़िंदगी को पूरी तरह जिया। हो सकता है ये सही हो पर दुनिया में ज़्यादातर लोगों की ज़िंदगी वैसी होती नहीं है जैसी वो लोगों को दिखाते हैं या जैसी लोग assume कर लेते हैं।
केन तनाका के बारे में पढ़ते हुए मुझे महाभारत के भीष्म पितामह याद आ गए जिन्हें इच्छा-मृत्यु का वरदान था। था तो ये वरदान मगर उनके लिए ये अभिशाप साबित हुआ क्योंकि उन्होंने अपने सामने कई पीढ़ियों को मरते देखा। ख़ुद को शक्तिशाली से अशक्त होते हुए भी देखा। कितने ही अनाचार होते देखने पड़े।
तो लम्बा जीवन क्या वाक़ई सुखद हो सकता है ?
( World’s Oldest Person Kane Tanaka Died ) आप कल्पना कीजिये एक फ़िल्म की, जिसे आपको पूरा दिन बैठ कर देखना पड़े तो क्या आप बोर नहीं हो जायेंगे !! चलिए कल्पना मत कीजिए टीवी धारावाहिकों को देख लें जो सालों-साल चलते हैं, रबर की तरह कहानी खिंचती चली जाती है। कोई भी सेंसिबल इंसान एक वक़्त के बाद उन्हें नहीं झेल पाता। ज़िंदगी भी कुछ ऐसी ही है, अगर उसमें कुछ एक्साइटमेन्ट न हो, कुछ नया न हो तो जीने का क्या मज़ा ? जब खुशियाँ या ग़म बाँटने के लिए आपके साथ आपके अपने ही न हों तो ऐसी लम्बी ज़िंदगी पाकर आप क्या करेंगे ?
आपका पॉइंट ऑफ़ व्यू अलग भी हो सकता है लेकिन मैं इस डायलॉग को फॉलो करना चाहुँगी, आपने भी सुना होगा –
“बाबू मोशाय ज़िंदगी लम्बी नहीं बड़ी होनी चाहिए”
बड़ी ज़िंदगी—
जिसमें कुछ कर गुज़रने का एहसास हो, जो सार्थक हो, निरर्थक नहीं यानी पैदा हुए और एक दिन यूँ ही मर गए, इसे तो ज़िंदगी नहीं कहा जा सकता जिसका कोई उद्देश्य ही न हो! बड़ी ज़िंदगी का मतलब और भी बहुत कुछ हो सकता है पर वो मैं आप पर छोड़ती हूँ कुछ आपको भी सोचना चाहिए न !
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